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Thursday, October 27, 2011

कभी अपना तो मानो


ख्वाब बहुत है दिल के अन्दर कभी इसको तो जानो
कैसे बताऊ तुझे कभी अपना तो मानो
तेरे ही ख्यालो में खोया रहता हु
बेगानों की गली में रोता रहता हु
ना जाने कब तुमसे मुलाक़ात होगी
तुमसे दिल ही दिल में दिल की बात होगी
एक झलक पाने को तरसता रहता हु
साथ चलने को तडपता रहता हु
ख्वाब बहुत है दिल के अन्दर इसको तो जानो
कैसे बताऊ तुझे कभी अपना तो मानो
फुल ना सही काटे ही बना कर रखो
दोस्त ना सही दुश्मन ही मान कर रखो
अपना ना सही बेगाना ही बना कर रखो
कभी खुद को देखो,कभी मुझको देखो
लेकिन एक नजर मिला कर तो देखो
अपना ही हु , अपना ही नजर आऊंगा
यही हकीकत है तुम इसे जानो या ना जानो
ख्वाब बहुत है दिल के अन्दर इसको तो जानो
कैसे बताऊ तुझे कभी अपना तो मानो
...........रवि तिवारी ...............

Thursday, September 15, 2011

यह कैसी मज़बूरी है


भारत की यह कैसी मज़बूरी है
हर तरफ सिर्फ गोली बारी है
संसंद में भी गिदडो की सभा बैठी भारी है
यह कैसी तैयारी है , यह कैसी लाचारी है
नाली के कीड़े शर्म के मारे नाली में ही डूब रहे है
गली के कुते भी अब नेताओ के नाम पर थूक रहे है
लाल किला की जागीर पर देखो कुते कैसे भोंक रहे है
संसंद की गलियारों में अब तो चोरो की जमींदारी है
देश तड़प रहा है अब तो रोज रोज बम के धमाको से
लेकिन नेताओ को फुर्सत नहीं जेल में बैठे दामादो से
आतंकवादी मजे लुट रहे है बैठ के फाइव स्टार जेल में
तब तक इन नेताओ को ही तल दो अब गरम तेल में
देश की इस सत्ता पर देखो विदेशी का अधिकार है
कुछ गद्दारों और देश द्रोहियों का भी इसमें हाथ है
अब गिद्दो को भी देखा दो भारत में कैसे होता चमत्कार है
संसद की गलियारों से उठाकर इनको भी अब भेज देना है
दामादो के साथ साथ ससुरो को भी फासी दे देना है !!
.................जय हिंद , जय भारत ......

Thursday, September 8, 2011

तुम्हारा हो गया........


कब तुम्हारे साथ तुम्हारा हो गया
कब तेरे प्यार के बंधन में बंध गया
सुबह से शाम तेरा ही होने लगा
दिल में तेरी ही उमंगें खिलने लगा
फूलो की खुशबु हवा में समाने लगी
बागो में मोर नाचने लगे
कोयल भी गीत गाने लगी
अब तो मै प्रेम कविता में डूबने लगा
कभी मेरे अरमानो के भी लगेंगे पंख
आज नहीं तो कल बरसेंगे
प्यासे नहीं अब और तरसेंगे
ना जाने,कब तुम्हारे साथ तुम्हारा हो गया
कब तेरे प्यार के बंधन में बंध गया
खोया रहता हु अब तेरे ही ख्यालो में
तेरे सपने और सवालो में
अब आ भी जाओ
हलके हलके ही सही
लेकिन बरसात करा जाओ
इन बादलो की आख मिचोली में
एक उम्मीद की किरण जगा जाओ
एक उम्मीद की किरण जगा जाओ
...........रवि तिवारी................

Sunday, September 4, 2011

काजल


तेरे नैनों का काजल
कर देता है मुझको घायल
जब देखता हु तुमको
खो जाता हु ख्यालो में
वीणा की तारो में
पायल की झंकारो में
हुस्न की गहराई में
रेशमी घने जुल्फों में
तेरे नैनो का काजल
कर देता है मुझको घायल
जब आती हो काजल लगाकर
खो जाता हु ख्वाबो में
तेरी ही यादो में
पलाश के फूलो में
तेरे कजरारे नैनों की
झील की गहराई में
सावन के महीने में
रिमझिम फुहारों में
ये तेरे नयनो का काजल
कर देता है मुझे घायल
कर देता है मुझे घायल
.....रवि तिवारी.....

Wednesday, August 31, 2011

तुम आज भी खास हो ......


तुम आज भी खास हो
कल भी खास थी
वो वक्त भी खास था
जब तुम मेरे पास थी
आज मै उदास हु
जब नहीं पास हो
लेकिन अब भी मुझे
तुम्हारा थोडा थोडा एहसास है
वो कोयल की बोली
तेरी नैनों का काजल
तेरा हसना , मचलना , चहकना
झरनों का शोर
कर देता है मुझको निराश
लेकिन, तुम आज भी खास हो
कल भी खास थी
ख्वाबो में आना
लड़ना , झगड़ना , हसना- हसाना
रोना -रुलाना
आने का वादा करके ,ना आना
करके छोटा सा बहाना
हमेशा के लिए जाना
मुझके सताना , रुलाना
कर देता है मुझको निराश
लेकिन, तुम आज भी खास हो
कल भी खास थी
......रवि तिवारी ......

Sunday, August 28, 2011

कैसे कहू.....!!


दिल में कुछ बात छुपी है
जुबान चुप है ,लव खामोश है
कहने को बहुत कुछ है
कैसे कहू हिम्मत नहीं है
तुझे अपना मान लिया
बताने से डरता हु
ख्वाब देख लिया बहुत
लेकिन हकीकत से डरता हु
एक अनजाने सफ़र पर चल रहा हु
मंजिल का पता नहीं
अंजानो के शहर में
वीरानी के अथाह सागर में
चलता ही जा रहा हु
उनसे पहली मुलाकात भूलती नहीं
उनके बिना अब सफ़र कटती नही
कैसे समझू उनकी मन की बात
कभी खुलकर कुछ कहती नहीं
अब, कैसे कहू
मै अपने मन की बात
जुबा चुप है , लव खामोश है
कहने को बहुत कुछ है
कैसे कहू हिम्मत नहीं है
......रवि तिवारी .....

Wednesday, August 24, 2011

दिल के गहरे जख्म


मै लफ्जो में कुछ बता नहीं सकता
दिल के गहरे जख्म दिखा नहीं सकता
राहे उल्फत में साथी तो बहुत मिले
गगन में तारे भी बहुत देखे
जिसे अपना बनाना चाहा
उसे हम कभी अपना बना नहीं सकते
वफ़ा का जबाब ने बेवफा बना दिया
फुल था अब पत्थर बना दिया
अपनों ने ही ठुकरा दिया
कैसे तुम्हे दिखाऊ दिखा नहीं सकता
मै लफ्जो में कुछ बता नहीं सकता
ख्वाब मेरे भी बहुत थे
जीवन के सफ़र में
आसमान तक जाने की
सभी उचाइयो को छुने की
लेकिन क्या करू,
खुद पंख लगा नहीं सकता
मै लफ्जो में कुछ बता नहीं सकता
दिल के गहरे जख्म दिखा नहीं सकता
..........रवि तिवारी ......

Friday, August 19, 2011

पायल


सुन कर तेरी यह पायल की झंकार
दिल हो गया घायल मेरा बारम्बार
अब और होता नहीं तेरा इन्तजार
अब आ भी जाओ तुम पायल बजा कर
जब तुम चलती हो इसको पहनकर
अपने नन्हे से दिल को थाम कर
ओश की बुँदे की तरह शरमा कर
आँखों में काजल लगा कर
माथे की बिंदी की सजा कर
मेरा दिल तब कहता है घबरा कर
आ जाओ अब तुम पायल बजा कर
अपना बना लो अपना समझ कर
बजा दो दिल के तार वीणा समझ कर
नजरो में समां लो काजल बना कर
अपना बना लो अपना समझ कर
......रवि तिवारी.......

Wednesday, August 17, 2011

छोटी सी मुलाक़ात का वो दिन...


तेरे साथ एक छोटी सी मुलाक़ात का वो दिन
याद है अब भी बरसात का वो एक दिन
हमने देखी थी तेरी आँखों में एक सच्चाई
सबसे अच्छी थी तेरी यह अच्छाई
पल भर की वो मुलाकात
तुमसे थोड़ी सी वो बात
क्या खूब थे तेरे जज्बात
भूल गया अपनी सारी बात
तुझे देख कर देखता ही रहा
अपने मन को कुरेदता ही रहा
मन में ख्वाब सजाता ही रहा
बात करता ही रहा
अब तो, ना भूलता कभी मुलाक़ात का वो दिन
अब भी याद है वो बरसात का दिन
फिर से एक मुलाक़ात करवा दो
जमकर बरसात करवा दो
जमकर बरसात करवा दो..!!
.......रवि तिवारी.......

Thursday, August 4, 2011

kuch kuch...


उनके गलियों से जब गुजरे तो मंजर अजीब था
दर्द था मगर वो दिल के करीब था.......!!

सपनो की तरह आकर चले गए
अपनों को भुलाकर चले गए
किस भूल की सजा दी आपने हमें
पहले हसाया फिर रुलाकर चले गए ,,,

दिल की उदासियो को मिटा ना सका
तेरी याद दिल से भुला ना सका..!!

इतना आसान होता अगर यह दिल का खेल
तो दे देता दो चार और दिल, इस से भी खेल .. !

आपसे दूर होकर हम जायेंगे कहा
आप जैसा दोस्त हम पाएंगे कहा
दिल को कैसे भी संभाल लेंगे
पर आँखों के आंसू हम छुपायेंगे कहा .


दूर हो हमसे लेकिन पास हो
अनजानी हो लेकिन खास हो..

ना जाने उन पर इतना यकीन क्यों होता है
दूर है फिर भी पास में महसूस क्यों होता है ...

Friday, July 22, 2011

छोटी छोटी शायरी !!


तेरे शहर में अब मेरा मन लगता नहीं
जिसे अपना समझा वो अपना समझती नहीं ..!!

भूल कर भी उसे भूल ना पाया
हमेशा अपनी यादो में पाया ..!!

तेरी चाहत में बैठे रहे वो ज़माने से लड़कर
तुम चल दी उसी का दामन छोड़ कर..!!

न जीने को जी चाहता है ना मरने को
बीच भवर में डूब जाने को जी चाहता है ..!!

काश कोई अपना होता जिसे हम अपना कहते
आ जाती हकीकत में कभी ना हम उसे सपना कहते..!!

हम तो आज भी उनके इन्तजार में बैठे है
सितारों की महफ़िल सजाये बैठे है..!!

उसकी फरियाद ही तो अब जीने नहीं देती
उफ़ ये जमाना है कि मरने नहीं देता...!!

अँधेरे में ही जीता था अँधेरे में ही जिऊंगा
अब तो सुबह और शाम हमेशा पियूँगा ..!!

Saturday, July 16, 2011

आशिक

आशिक मरते नहीं कब्र में दफनाये जाते है
कब्र खोदकर देखोगे तो इन्तजार में पाए जाते है .............रवि तिवारी !

Friday, July 15, 2011

कायरो की तरह क्यों जीते हो


कायरो की तरह क्यों जीते हो
टुकडो में रोज रोज क्यों मरते हो
क्या खून नहीं तेरा पानी है
इसको ही कहते हो जवानी है
तुम भी बन सकते हो आज़ाद , भगत
सिर्फ एक धार दिखानी बाकी है
उस वक़्त भी गंगा में पानी था
वीर कुवर सिंह जैसा कोई नहीं सानी था
तुम भी बन सकते हो विश्व गुरु
बस एक बार हो जाओ सब शुरू
माँ भारती तुम्हे पुकार रही
आज वतन तुम्हारा कराह रहा
जो दर्द सहा है वीरांगनाओ ने
क्या उसके दर्द को तुम भूल गए
कायरो की तरह क्यों जीते हो
टुकडो में रोज रोज क्यों मरते हो
चलो चलो देश के नौजवानों
माता -बहनों और किसानो
निकाल लो म्यान से तलवारे
वतन के दुशमन को दिखा दो
तुम भी हो माँ भारती के सपूत
तुम भी हो माँ भारती के सपूत
..........रवि तिवारी .....

Wednesday, July 13, 2011

भारत के भाग्य विधाता


जय हो , जय हो, जय हो, जय हो , जय हो
भारत के भाग्य विधाता तेरी सदा ही जय
भगत,चंद्रशेखर,आज़ाद तेरी सदा ही जय
देश के लिए शहीद होने वाले तेरी सदा ही जय
हम सबको सुख शांति देने वाले
अमन -चैन की जीवन देने वाले तेरी सदा ही जय
लेकिन अब ,
इस देश के लुटेरे का क्या कहना
कोई इनको जूते की माला पहना
जनता की आवाज़ सारे फोन में खा गए
2 G हो या ३ G सब खा गए जी
सारा खेल चौपट कर गए जी
खेल खेल में रास्ट्र का मंडल खा गए जी
थोडा ही नहीं बण्डल के बण्डल खा गए जी
मंद मोहन हो या कालमाडी या हो कानी मोझी
किसी ने भी जनता की दर्द नहीं बुझी
अबकी तुम भी मत चुप रहना ऐ भैया
बैलेट की ताकत दिखा देना ऐ भैया
इन हरामखोरो की धुल चटा देना ऐ भैया
इन लुटेरो का राज मिटा देना ऐ भैया
इन लुटेरो का राज मिटाना देना ऐ भैया
............रवि तिवारी.........

Monday, July 11, 2011

हम तुम्हे याद नहीं करते


कौन कहता है हम तुम्हे याद नहीं करते
सुबह -शाम तेरी ही फ़रियाद करता हु
सब लोग कहते है तू वेबफ़ा निकली
मै कहता हु तुझे वक़्त ने धोखा दिया
खुश रहो तुम इसमें ही मेरी ख़ुशी है
फूलो सी खिली रहो
चमन में महकती रहो
चांदनी रात में झिलमिलाती रहो
तुम्हे देखता हु अब भी ख्यालो में
खुश होता हु दिल ही दिल में
सब कहते है तू वेबफ़ा निकली
मै जानता हु तुझे वक़्त ने धोखा दिया
..........रवि तिवारी ........

Monday, July 4, 2011

घोर अन्धकार है

घोर अन्धकार है ,देश में हाहाकार है
कश्मीर से बिहार तक , केरल से बंगाल तक
लुट का बाजार है
सो गए है युवा आजकल
काल सेण्टर की दूकान में
भारत माता रो रही है
नेताओ ने लुटा है
लालकिला भी शांत है
कहा खो गए हो वीर युवा
आकर स्वर से स्वर मिलाओ
तुफानो से लड़ना है
गद्दारों को सबक सिखाना है
आंधियो की राह बदल दो
दुश्मनों की चाल बदल दो
हर राह के राही हो तुम
जात पात का भेद मिटा दो
आग लगा दो इन नारों में
दूर भगा दो गद्दारों को
देश के दुश्मन नेताओ को
देश के दुश्मन नेताओ को
जय हिंद
......रवि तिवारी ......

Wednesday, June 29, 2011

भारत बर्बाद


कैसा है यह भारत निर्माण
अब तो लगता है की हो रहा भारत बर्बाद
निर्दोषों को मारा लाठी -डंडा
पूजनीय को बोला महाठग
यह कैसी है बिडम्बना
...हो गया भारत बर्बाद
कैसा है यह दुर्भाग्य
विदेशी बनी है राज माता
सारे कांग्रेसियों को यही है भाता
फिर से वही आ गयी है
कांग्रेसियों के दिल पर छा गयी है
गुलामी के बंधन में हम जी रहे है
कब तक ऐसे गुलाम रहेंगे
कब तक तुम भी चुप चाप रहोगे
हो गया भारत बर्बाद
हो गया भारत बर्बाद
..........रवि तिवारी.........

Wednesday, June 22, 2011

भूल कर भी तुझे भूल नहीं पाया


भूल कर भी तुझे भूल नहीं पाया
कभी यादो में कभी ख्यालो में पाया
अनजान इन राहों पे चलता ही रहा
लेकिन मंजिल न मिल पाया
अश्को की दरिया बहते ही रहा
तेरी यादो में हमेशा खोया ही रहा
तेरा इस तरह से आना
बेगाने की तरह जाना
आज तक मै समझ ही नहीं पाया
लेकिन भूल के भी तुम्हे भूल न पाया
कभी याद आऊ तो याद कर लेना
अब ना मिल पाऊ तो ना फ़रियाद करना
तू मुझे भूल गयी वर्षा
लेकिन मै तुम्हे भूल के भी भूल ना पाया
............रवि तिवारी .......

Saturday, June 4, 2011

मेरे प्यार को तुम भुला तो ना दोगे

मेरे प्यार को तुम भुला तो ना दोगे
कही दोस्त बन कर तुम दगा तो ना दोगे

तुम्हे देखने को तरसती है आँखे-आँखे
कही आग दिल में लगा तो ना दोगे

बुझाने से पहले सुलगती है ज्यादा - ज्यादा
कही आग दिल में लगा तो ना दोगे

तुम्हे देखने को तरसती है आँखे आँखे
कही दोस्त बनकर दगा तो ना दोगे

Thursday, May 26, 2011

तेरी याद कभी जाती नहीं.......!!


जब से तू दूर गयी
तेरे ही ख्यालो में खोया रहता हु
कुछ याद है वो लम्हे अब भी
तुझसे मुलाकात का वो पहला पल
ना भुला कभी वो बरसात का दिन
तेरी रेशमी जुल्फों से
टपकती वो बारिश के बुँदे
वो लड़ना , वो झगड़ना
कभी ना भूलता वो हसीन पल
अब भी टपकती है वो बुँदे
लेकिन अब वो बरसात कहा
अश्को की बारिश रूकती नहीं
तेरी याद कभी जाती नहीं
लगता है पास हो
दिल के करीब हो
देखा तो हवा का झोका था
हकीकत नहीं वो धोखा था
भूल कर भी भूल पता नहीं
तेरी याद कभी जाती नहीं
.....रवि तिवारी .......

Saturday, May 14, 2011


जीना है तो मरना सिख लो
देश के लिए कुछ करना सिख लो
भारत की शान खतरे में है
लाल किला भी पहरे में है
भारत माता रो रही है
...गद्दारों ने जकड लिया है
देखो कैसी लुट मची है
माँ का आँचल गीला है
नेताओ ने लुटा है
तुम सब अब तो जाग जाओ
माँ की इज्जत बचा लो
लालकिला भी अब लाल नहीं
किसी की आँखों ने अंगार नहीं
चलो उठो अब वीर जवानों
चल चलो तुम भी नौजवानों
भारत की शान खतरे में है
भारत की शान खतरे में है

Wednesday, May 11, 2011

अविस्म्ररनीय यादें : अपने फेस बुक के मित्रों से मिलने की..!...mere mitra mohan ji ne likhi hai ye vivran !!!

एक समय था जब मेरा कोई मित्र नहीं था तब मैं सोचा करता था - मित्र के साथ कैसा लगता है , कैसे अनुभव होतें हैं ? मेरी दुनिया केवल मेरे उद्देश्य के लिए थी , अपने परिवार के लिए , अपने आफिस के लिए ..बस ..! पर जब एक दिन अचानक मैंने फेस बुक देखी तो ऐसे ही उसमे अपनी आई डी बना ली ..! कुछ समय देखा भी नहीं फिर जब मन में आया तो फेस बुक में मित्र बनाने शुरू किये ..उस समय समझ में नहीं आता था क्या बात करूँ ..कैसे बात करूँ ..? इस बात का पता ही नहीं चला कैसे मैं इसमें डूबता चला गया ..शायद ठीक वैसे ही जैसे ."किसी से प्यार हो जाये और दिन रात उसके बारे में ही सोचे ..सपने देखें ..मधुर गाने सुने ...सुनाएँ ..! " मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ ..मुझे भी प्यार हो गया ..और ऐसा प्यार की ..बिना अपने प्यार से हसी मजाक किये ..बातें किये बिना .न तो खाना ही अच्छा लगता था ..न ही कहीं मन ही लगता था ..प्यार में ऐसा डूबा कि अपने प्यार के प्यार की जाने कितनी कवितायेँ भी लिख डालीं ..! सब कहने लगे .." क्या होगा इस बंदे का ? " अब ऐसा है न जब प्यार होता है तो हमे किसी की बातें भी सुनाई नहीं देती न ..केवल अपने प्यार की ही बातें सुनाई देतीं है न ..! मेरी प्रेमिका का नाम है - फेस बुक

तो ऐसे ही समय बीतता गया ..एक दिन मैंने सोचा क्यों न अपने मित्रों से मिलने जाया जाये ..?

बस फिर क्या था ..मैंने प्रोग्राम बनाया ..और निकल पड़ा ....!!दिन था ३० अप्रेल ..समय दोपहर के एक बजे ...ट्रेन में द्वितीये श्रेणी के वातानुकूलित शयन यान में मैं अपनी सीट पर था ! मेरी यात्रा रायपुर से दिल्ली के लिए थी ...!

ट्रेन में बैठे बैठे मैंने अपने मित्रों को फोन से बताया मैं उनसे मिलने आ रहा हूँ ..! दूसरे दिन एक मई को सुबह लगभग दस बजे मैं दिल्ली पहुंचा ..वहां स्टेशन पर मुझे लेने के लिए आये थे मेरे मित्र - हिमांशु नागपाल जी ! (हिमांशु जी ने ही मुझे ये साफ्ट वेयर दिया जिससे मैं हिंदी लिख सकता हूँ अंग्रेजी से हिंदी !) उनके साथ मैं पहुंचा "इंडिया गेट " जहाँ हर रविवार को " प्रत्यंचा -सनातन संस्कृति के साथ विकास की ओर " की बैठक होती है ! ये फेस बुक का ग्रुप है जिसे हम बहुत पसंद करतें हैं ! यहाँ पहुँचे तो देखा - लोवी भारद्वाज हमारा इंतजार कर रहे थे ..कुछ समय बाद " रवि तिवारी जी " ओम जी भी पहुँचे हम सबने मिल कर अपने ग्रुप के उद्देशों पर चर्चा की ..जानते हैं ये चर्चा चली लगभग चार घंटे ...! इस बीच हमने चाय , कुछ चिप्स , कुछ चने ..खाए ..! फिर कुछ फोटो ली हमने अपने कैमरे में ...शाम हुई तो हम गए हिमांशु जी के घर ..समय हुआ था शाम के सात बजे ...उनके घर हमने शाम को लंच किया ..! हिमांशु जी का छोटा सा परिवार ..उनकी पत्नी और पुत्र ..! एकदम करीने से सजाया हुआ सुन्दर सा घर ..जिसमे एक छोटा सा मंदिर .."राधा कृष्ण जी " की सुन्दर प्रतिमाएं ..! वहां खाना खा कर हम पहुंचे अपने होटल ..जहाँ हमने अपना सामान रहा ..और कुछ ही समय हुआ था कि लवी जी का फोन आया ..कि वे आ रहें हैं ..हम उनके साथ गए ..ताज रेस्टोरेंट ..जहाँ उनके एक और मित्र के साथ बातें करते हुए खाना भी खाया ..इस समय रात के एक बज रहे थे ...! लवी जी के साथ जब हम वापस होटल आ रहे थे उनकी मोटर साइकिल पर तो वे इस तरह आस पास गुजरते स्थानों के बारे में बताते जा रहे थे ...कि लगा ये सब तो किसी किताब में भी नहीं होगा ! सच में लवी जी के पास दिल्ली के हर हिस्से की सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी है ..कि हम हैरान हो गए थे ! होटल आ कर फिर लवी जी के साथ चर्चा का दौर चला ..जब मनपसंद बातें होती है तो पता ही नहीं चलता न समय कैसे बीत गया ? ऐसा ही हमारे साथ भी हुआ ! कब सुबह के चार बजे ...! अब लवी ने हमसे इजाजत ली और चले गए ..हमने भी कुछ घंटों की नींद ली ! इस तरह एक दिन पूरा हुआ ...आज तारीख थी दो मई !सुबह लगभग ग्यारह बजे रवि जी अपनी कार ले कर आये हमारे पास ..! कहा चलिए चलते हैं ..एक और खास मित्र से मिलने ...! हमने कहा ठीक है चलते हैं ..! बाते करते करते हम पहुँचे - राष्ट्रिय स्वयं संघ के मुख्यालय ...! यहाँ पहुँच कर जब रवि जी ने नाम बताया किससे मिल रहें हैं तो हम हैरान हो गए ..? जानतें हैं ...हम किनसे मिले ----हम मिले अपने मित्र - " रत्नेश त्रिपाठी जी ' से ..! हमे पता ही नहीं था वे यहाँ रहतें हैं ..? खैर ..जब रत्नेश जी से मिले तो वे बड़े ही आत्मीय ढंग से गले मिल कर मिले ..या कहें - " जादू की झप्पी " ! उन्होंने हमे पूरा कार्यालय घुमाया ..सब जानकारी दी...! हमने अपनी तस्वीरे भी ली ..! साथ ही गरम गरम समोसे और चाय भी पी ..हमारे मित्र रवि जी ने यहाँ - रामायण पाठ भी किया ..! हमने सेमिनार हाल में डायस पर कुछ फ़िल्मी तरीके से डायलाग भी बोले ...! हमे रत्नेश जी ने बताया वे यहाँ इसलिए रुके है कि उनकी पी अच् डी की थीसिस हो जाये ! हमने उनकी थीसिस देखी ..प्राचीन इतिहास पर है उनकी थीसिस - सरस्वती नदी पर ! हमने उन्हें शुभकामनाये दी..! हमने सुना था शुभकामनाओं में शक्ति होती है ...पर देखा पहली बार ...इधर हमने रत्नेश जी को शुभकामनाये दी और अभी जब हम वापस आये तो सूचना मिली की रत्नेश जी को " डाक्टर " की उपाधि मिल गई ..! इसलिए आप भी जिसे भी शुभकामनायें दे दिल से --प्यार से दें ..देखिएगा कितना असर होता है ..जब शुभकामनाये सफल होतीं हैं तो मन खुश हो जाता है न ..! रत्नेश जी से मिल कर हम और रवि जी ..चले दिल्ली घूमने ..!तभी रवि जी ने अपने मोबाईल पर किसी से बात की ..और हमसे कहा - मोहन जी , आपको मिलवातें हैं - अपनी एक महिला मित्र से ..! हमने कहा - ठीक है मिलवाइए ..! रविजी ने कहा - आपको आइसक्रीम खिलानी पड़ेगी ..!हमने कहा ठीक है .."मित्र आपकी ..और आइसक्रीम हम खिलाये ..? " रवि जी ने कहा - हाँ जी ..आप केवल आइसक्रीम ही नहीं डीनर भी खिलाएंगे ..! हमने कहा - ठीक है ..! अब हम उस स्थान पर पहुँचे जहाँ - रवि जी की महिला मित्र इंतजार कर रहीं थीं ..! वे भी कार में बैठीं ...! रवि जी ने उनका परिचय कराया - इनका नाम है - "मालती जी " !हमने जब उन्हें देखा तो मन में लगा इनकी सूरत तो हमारी फेस बुक मित्र "माधुरी पाठक " जी से मिलती जुलती है ..? हमने उनसे कहा - " मालती जी आपकी शक्ल हमारी फेस बुक मित्र माधुरी पाठक से लगभग ९५ % मिलती है ..! हमने उनसे पूछा - आप दिल्ली में ही रहतीं हैं ? उन्होंने कहा - हाँ मैं दिल्ली में ही रहती हूँ ..! हमने मन ही मन सोचा का इतेफाक है ? क्यों कि माधुरी जी अम्बिका पुर में रहती हैं इतना ही हमें पता था ..फिर हम कभी उनसे रूबरू मिले भी नहीं थे ..केवल फेस बुक में उनकी तस्वीरें ही देखी थीं ..! और ये दिल्ली में रहती हैं ..! हम सब पहुँचे "पालिका बाज़ार के बगीचे में " जहाँ हमने आइसक्रीम भी खाई ...कुछ चिप्स ..कुछ पापकार्न भी ...! बाते करते करते ...रवि जी ने हमसे कहा - मोहन जी , ये मालती जी नहीं --- माधुरी पाठक ही हैं ..! अब हम हैरान हो गए ..! हम कुछ कहते उसके पहले रवि जी और माधुरी जी ने कहा - " हमने प्लान बनाया था आपको हैरान करने का ..इसलिए हमने ऐसा किया ..! हमने कहा आप अंबिकापुर से यहाँ हमे ऐसा "surprise " देने के लिए आइ हैं ? तब उन्होंने हंस कर कहा चाहे तो आप ऐसा ही समझ सकते हैं ..! पर कुछ देर बाद उन्होंने कहा - मैं यहाँ " यू पी एस सी " की तय्यारी करने आई हूँ ..! अब बातों बातों में माधुरी जी ने जो बताया ..वो सच में ऐसा था जिस पर सभी को गर्व होना चाहिए ..! जब माधुरी जी ने दिल्ली में आ कर परीक्षा की तयारी की सोची तो यहाँ वे कहाँ रहेंगी ? कहाँ कोचिंग करेंगी ? इन प्रश्नों से वे परेशां थीं ! तब उन्होंने रवि जी से अपने ये प्रश्न कहे ..." कहते हैं सच्ची दोस्ती किसी भी कठिनाई को चुटकियों में हल कर देती है ! " कुछ ऐसा ही हुआ ..! रवि जी ने माधुरी जी के लिए " पेइंग गेस्ट " के रूप में एक व्यवस्था कर दी , कोचिंग के लिए मार्गदर्शन दिया ...रवि जी ने एक सच्चे मित्र की तरह अपना समय उनकी इन व्यवस्थाओं में लगाया ...! आज माधुरी जी निश्चिन्त , प्रसन्न मन से अपनी पढाई कर रहीं हैं ! ये है फेस बुक के मित्र के लिए अच्छा करना ..! है न ..! हमारी हार्दिक शुभकामनाये माधुरी जी के साथ है कि वे अपनी इस परीक्षा में सफल हो और जो वे बनना चाहती हैं ..बने ..एक अकाउंट आफिसर ..! खैर हम तीनों आये हमारे होटल जहाँ पहले से लवी जी भी मेरे कमरे में इंतज़ार कर रहे थे ..हम चारों ने रात का खाना खाया ..और माधुरी जी और रवि जी चले गए ..! बचे तो हम और लवी जी ..! फिर हम दोनों ने बातें शुरू की..अनेक विषयों पर बातें हुईं ..फिर समय हुआ रात के तीन बजे ..! लवी जी वास्तव में बहुत सटीक जानकारी रखतें हैं ..हिन्दु धर्म के बारे में ..उन्होंने अपने जीवन का सारा समय दिया हुआ है इसी में ..! इस तरह से ये एक और दिन पूरा हुआ ..हम भी सो गए ..मीठी यादें लिए ..एक और नई सुबह के लिए ...! आज तारीख थी - तीन मई ....! सुबह रवि जी ने फोन पे बताया ...आप आइये मेट्रो ट्रेन से द्वारका स्टेशन ...! हम ऐसे ही तैयार हो कर अपना कैमरा ले मेट्रो ट्रेन से पहुँचे ..जहाँ रवि जी ने बुलाया था ..! वहां रवि जी अपनी कार में हमारा इंतज़ार कर रहे थे ...उन्होंने कहा चलिए आपको एक और मित्र से मिलातें हैं ..! फिर एक मेट्रो स्टेशन के बाहर एक नवजवान मिले ..! उनका नाम था - विनोद ! जब हम तीनों कार में थे तो प्रोग्राम बना हम सब हरिद्वार जायेंगे ..अभी ..! हम हैरान हुए - हमने कहा हमने कोई बैग भी नहीं लिया है ..! उन्होंने कहा कोई नहीं सब हो जायेगा ..! हमने भी कहा - ठीक है .....! हम तीनो दिल्ली से " बहादुर गढ़ " ...अब रवि जी ने हमसे कहा - आपको मिलतें हैं एक खास व्यक्ति से ..! और हम पहुँचे - दैनिक समाचार पत्र - " आज समाज " के कार्यालय ..! यहाँ हम मिले - " श्री रविंदर राठी जी " से ! रविंदर राठी जी बहादुर गढ़ में एक जानी मानी हस्ती तो है ही साथ ही उनका व्यवहार ऐसा है कि - एक बार मिलने पर हर कोई उनका दीवाना हो जाता है ..सीधा सरल व्यवहार , कार्य में ईमानदारी , लगन , पूर्ण रूप से हिंदू प्रवृति ...! सही और सटीक बातें ..! हमे देखा आज कल के पत्रकारों में जो घमंड , गुरुर होता है ..वो इनमे कहीं नहीं दिखा ..! मधुर आत्मीय व्यक्तित्व ...! हमने खूब बातें की ..उस समय शाम हो रही थी ..अचानक आंधी चली ...मौसम खुशगवार हो गया ..हम सब गए कुछ नाश्ता करने ...बहादुर गढ़ के प्रसिद्ध - " पंडित जी का नाम ही काफी है " के ठेले पर ..जहाँ हमने दही भल्ले खाए ..! यहाँ हम एक बात तो बताना भूल ही गए ....जब हम "दैनिक आज समाज " के कार्यालय में बैठे थे तो लवी जी भी आ गए थे वहां ..! अब हम चारों यानि - मैं , रवि जी , लवी जी और विनोद जी कार से चले हरिद्वार ...!एक बात माननी पड़ेगी -- रवि जी वास्तव में " कूल ड्राइविंग " करतें हैं ! हसते बाते करते हूँ चलते रहे ..रस्ते में रुक रुक कर आराम भी करते ..और कभी चाय पीते ..कभी प्याजी परांठा भी खाते ..! कार में सफर करते हुए तारीख भी बदल गई ...यानि तीन मई से चार मई हो गई ..! समय - रात के लगभग डेढ़ बजे ..हमने देखा सामने पहले नीली रौशनी से आकाश नहा गया है फिर हलके नारंगी रंग से ..फिर हमे कुछ विस्फोट की आवाज़ भी सुनाई दी ..हमने सोचा कोई बिजली की तार टूट गई है ...पर जब हम कुछ आगे गए तो देखा पूरा बिजली का सब स्टेशन ही फट गया ..और उसमे आग लग गई थी ..! हमने ये नज़ारा देखा तो सोचा - " मानवीय गलती कितनी बड़ी दुर्घटना बन सकती है " खैर हम चल पड़े अपने सफर पर ...! समय ...सुबह के लगभग ४.३० ....हम बहुत धीमी गति से हरिद्वार पहुँचने की राह पर थे ...हम लगभग ७ किलोमीटर दूर थे हरिद्वार से ..! एक स्थान है ज्वालापुर जहाँ एक सकरी सी पुलिया है ...!हमारी कार के आगे एक ट्रेक्टर ट्राली चल रही थी अत्यंत धीमी रफ़्तार से ..उसमे लकड़ी के लट्ठे भरे हुए थे ..! चूँकि ट्रेक्टर बहुत ही धीमा चल रहा था तो रवि जी ने सोचा ओवर टेक कर लेते हैं ..जाने क्यों हमारे मन में क्या आया हमने रवि जी को मना किया ..हमने कहा कार ट्रेक्टर के पीछे ही चलने दें ..! रवि जी ने बात मान ली ..हमारी कार उस समय ट्रेक्टर के बाजु में चल रही थी ..रवि जी ने कार की गति कम की ..जैसे ही हमारी कार ट्रेक्टर के पीछे आई ही थी कि - " एक भयानक टक्कर की आवाज़ आई ..!" रवि जी के पैरों ने कार में ब्रेक लगा दी ! हमने देखा ठीक हमारे सामने ..लगभग दो मीटर की दुरी पर उसी ट्रेक्टर को एक महेंद्रा पिक अप ने जोरदार टक्कर मार दी थी ..! महेंद्रा जीप के सामने के हिस्से के मानों परखच्चे उड़ गए थे ..! हमारी सांसे मानों रुक गई थी ये नजारा देख कर ..! कुछ मिनिट लगे हमे सामान्य होने में ..और तभी लवी जी कार से उतरे और घटना स्थल पर पहुँचे ..हम सब भी कार से उतर कर लवी जी के पास पहुँचे ..हमने देखा ट्रेक्टर चालक स्टेयरिंग में फस गया था ...! जीप चालक भी बुरी तरह से फस गया था ..! लवी जी ने ट्रेक्टर चालक को ताकत लगा कर बाहर निकला ! और जीप में फसे सह चालक को निकला ..! पर जीप चालक को नहीं निकाल पाए वो बहुत बुरी तरह से फस गया था ..! शायद उसकी मृत्यु भी हो चुकी थी ..! लवी जी ने तत्परता दिखाते हुए मोबाईल से - १०० नंबर पर पुलिस को सूचना दी और १०८ नंबर पर एम्बुलेंस को सूचना दी ! साथ ही लवी जी ने रवि जी से कहा वे कार को पुल के दूसरी तरफ ले जाएँ ..रवि जी ने तुरंत ऐसा ही किया ..! तब तक वाहनों की भीड़ लग रही थी ..लवी जी ने यातायात व्यवस्थित करने की कोशिश की .! मानवीयता इतनी निष्ठुर हो सकती है ये हमे यहाँ देखा ..आने जाने वाले वहां बिना रुके जाना चाहते थे ..! हम चारों ने सभी से धीरे धीरे जाने को कहा पर एक ट्रक वाले ने कुछ ज्यादा ही जल्दी दिखाई ..और वो पुल के फुटपाथ को तोड़ता हुआ फस गया ..अब दोनों तरह के वहां रुक गए ..! इतने में पुलिस और एम्बुलेंस भी पहुँच गई ..! हमने अब उन्हें घटना की पूरी जानकारी दी और वहां से ..चल पड़े ..हरिद्वार की तरफ ..! कुछ ही मिनिटों में हम गंगा के किनारे थे ..! हमने गंगा मैया को धन्यवाद दिया कि उनके आशीर्वाद से हम सुरक्षित बचे ..!रात भर के सफर और उस भयानक दुर्घटना को देखने के बाद हम अनमने से हो गए थे ..इसलिए एक धर्मशाला में गए और सो गए ..! चूँकि हम गंगा मैया के आँचल में थे इसलिए कोई बुरा सपना नहीं आया ..! कुछ घंटे सोने के बाद हम सब तरोताजा थे ..! अब चले - "हर की पौड़ी की तरफ ..!" मार्ग में हमने कुछ जरूरी वस्त्र ख़रीदे जैसे - रवि जी , लवी जी , विनोद जी और मैंने "गेरुए रंग की शर्ट " गमछे ..और पहुँचे हर की पौड़ी ..! ठन्डे बर्फ से गंगा जी के जल को जैसे ही हमने स्पर्श किया मानों शरीर में सिरहन सी दौड गई ..! रवि जी तो पत्ते जैसे कपकपा से गए ...! जैसे तैसे हम सब पानी में उतरे ..और जैसे ही डूबकी लगाईं मानों पानी की ठण्ड गायब हो गई ..! यही है गंगा मैया की ममता का असर ..! उसके बाद तो हमने बच्चो की सी हरकते शुरू की ..और लगभग कई घंटे गंगा जी के जल में नहाते रहे ..! दोपहर बाद हम चले --- ऋषिकेश ..! रस्ते में हम " शांति निकेतन " रुके ! ये आश्रम है - "श्री राम शर्मा आचार्ये जी का ' ! एकदम पवित्र वातावरण ..हम सबने यहाँ देखा "हिमालय साधना केन्द्र " जहाँ हम सबने कुछ समय ध्यान भी किया ..! उसके बाद आश्रम घूमा ..कुछ साहित्य भी लिया ..फिर चल पड़े अपनी मंजिल की तरफ ..!शाम के पांच बजे हम पहुँचे ऋषिकेश ..! सबसे पहले तो हम चारों ने "गीता भवन घाट " पर गंगा जी में डूबकियां लगाईं ..! अब सच में पानी बर्फ सा ठंडा था ..कपकपाते हुए ..पानी में अठखेलियाँ करते रहे ..रवि जी ठण्ड के मारे दांत किटकिटाते रहे ..मैं भी ठिठुरता रहा ..पर वाह रे लवी और विनोद जी ..उन्हें कोई असर ही नहीं हो रहा था ..विनोद के शब्दों में - "अब फील हो रहा है !" लगभग दो घंटे हम गंगा जी के जल में नहाते रहे ..उसके बाद पहुँचे गंगा आरती में शामिल होने ..! गंगा जी में नहा कर शरीर तो पवित्र हो ही गया था अब गंगा आरती सुन कर मन भी पवित्र हो गया था ..! सच में लगा - "यही तन और मन की शांति है !" गंगा आरती के बाद हम घुमे गंगा जी किनारे किनारे ...! यहाँ हमने एक बात ध्यान दी ..हम आपस में धार्मिक बातें ही करते रहे किसी अन्य विषय पर बातें ही नहीं कर पाए ..! इसे कहतें हैं - " जैसा स्थान वैसा मन !" सच में यही तो है न हमारी भारतीय संस्कृति ..! जिस पर हमे गर्व है न ..! तो इसी बात पर एक जय कारा हो जाये ...." हर हर गंगे ..जय हो गंगा मैया की ..! " हमने तय किया हम रात को ही दिल्ली के लिए रवाना होंगे ..हमने रवि जी से पूछा - क्या वे तैयार हैं ..ड्राइविंग के लिए ? मैं मन ही मन सोच रहा था शायद रवि जी मना कर देंगे ..! पर दाद देनी होगी रवि जी को --- उन्होंने अपनी चिरपरिचित मुस्कान से कहा - " मैं तैयार हूँ !" हम सबने जैकारा लगाया ..और पार्किंग से कार स्टार्ट करके निकल पड़े दिल्ली की तरफ ..समय हो रहा था रात के ग्यारह ..! थोडा ही सफर तय किया कि बरसात शुरू हो गई ..! अब रवि जी ने हम सबको बताया - " उनकी इस कार के वाइपर खराब हैं , वातानुकूलन यंत्र भी खराब है ..! ' हम सब सन्न रह गए ये सुन कर ...! पर रवि जी ने हमसे कहा - कोई नहीं ..! धीरे धीरे चलेंगे ..! बस फिर क्या था हममे भी जोश आ गया और रुकते रुकाते चल पड़े ..! जहाँ ज्यादा बरसात होती रुक जाते ..जैसे बरसात रूकती ..कार का शीशा साफ़ करते फिर आगे बदते ..ऐसा करते करते ..हम सुबह सात बजे दिल्ली पहुँचे ..! कहतें है न .." हिम्मते मर्द्दा ..मद्दते खुदा ! " बस ऐसा ही कर दिखाया 'रवि जी ने ' लगभग लगातार छे सौ किलोमीटर कार ड्राइव की..! मैं मन ही मन रवि की प्रशंसा कर रहा था कि - "एक ऐसा व्यक्तित्व जिसकी कविता पर इतने कमेंट्स आतें हैं कि कभी कभी इर्षा होती है , अब ये बात अलग है कि उन्हें मिलने वाले कमेंट्स में "कोमलता के प्रतीकों के ज्यादा और शक्ति के प्रतीकों के कम !" खैर मैंने दिल से उन्हें कहा - मुझे गर्व है कि आप मेरे अच्छे मित्र हैं ...! दिल्ली पहुँच कर एक स्थान पर हमने उनसे विदा ली और आ गए अपने होटल ..! आज तारीख थी पांच मई ..! होटल आ कर मैं सो गया ..शाम को नींद खुली ..! मैंने रवि जी , लवी जी को बताया हम अभी जा रहे हैं जयपुर ..! उन्होंने कहा - जब आप वहां से वापस आयेंगे तो फिर मिलेंगे ! हमने कहा - हाँ जी ! हमने सुबह चार बजे की बस की टिकेट ली और चल पड़े जयपुर ..! यहाँ हम मिलने वाले थे अपने मित्र - " महावीर भारती जी " से ! उन्हें हमने मोबाईल पर सूचना दे दी थी !आज तारीख थी - छे मई ..!

जैसे ही बस जयपुर के बस स्टैंड पहुंची ..तो महावीर जी मेरा इंतज़ार कर रहे थे ..उन्होंने पहले से ही - "होटल शिवाज़ पैलेस " में हमारा कमरा बुक करवा दिया था ..हम दोनों होटल के कमरे में पहुँचे ...जहाँ मैंने स्नान किया और फिर महावीर जी के साथ गए उनके घर दोपहर का खाना खाने ..! महावीर जी के परिवार में उनकी माता जी , उनका पुत्र और पुत्र याशिका और उनकी पत्नी हैं ..! एकदम शुद्ध राजस्थानी खाने का हमने आनंद लिया ...और फिर गए उनकी वर्कशॉप ..! महावीर जी कुशल मूर्तिकार हैं ..! उनकी वर्कशॉप में हमने देखा दस फीट और पन्द्रह फीट ऊँची प्रतिमाये ..! सबसे महत्वपूर्ण बात - उनकी बनाई हाथी की प्रतिमाये दिल्ली के "इंदिरा गाँधी अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल तीन में स्थापित हैं ! इसके आलावा जयपुर के " पिकाक गार्डन में उनके बनाये पिकाक हैं !" अनेक चौराहों पर उनकी बनाई प्रतिमाये भी हैं ..जो हमने देखी भी और अपने कैमरे में कैद भी की..! साथ ही हमने "हवा महल " जल महल " पिंक सिटी ," सहित हस्त कला के कुछ कारीगरों से भी मिले ..हमने घोड़े , ऊंठ , और जयपुर की प्रसिद्ध चुडिया , साडियां भी खरीदी ! इस समय रात के ग्यारह बज रहे थे ..! हमने फिर उनके घर में रात का खाना खाया और आ गए अपने होटल ..! तारीख - सात मई ....की सुबह के नौ बजे ..! महावीर जी हमारे पास आये ..उन्होंने जयपुर दर्शन के लिए डबल डेकर बस में तो सीट की टिकेट ले ली थीं ! हम बस में बैठे ..उस बस में हम सत्रह यात्री थे ...! इस बस से हमने - संग्रालय देखा , आमेर का किला देखा , कुछ हस्तशिल्प कला केन्द्र देखे ...शाम को वापस होटल पहुँचे ..! आज महावीर जी की सुपुत्री याशिका का जन्मदिन था ..तो हमने मिठाई ली ..और घर पहुँचे ! हमने हिंदू तरीके से याशिका का जन्मदिन मनाया ..! सबने मिल कर खाना खाया ....! हमने उनकी माता जी से आशीर्वाद लिया और ..होटल पहुंचे ..अपना सामान लिया और महावीर जी के साथ बस स्टैंड आ गए ...! चूँकि हमारी बस रात के एक बजे थी तो हमने महावीर जी से कहा वे अपने घर जाएँ क्योंकि उन्हें सुबह पांच बजे अपने परिवार के साथ चुरू जाना था ..अपनी ससुराल ! रात को एक बजे हम बस मे अपने स्लीपर पर आये और सो गए ...! सुबह छे बजे बस पहुंची दिल्ली ...हम बस स्टैंड से ऑटो से पहुँचे अपने होटल - साईं इनतर्नेशनल ! हमने अपने कमरे में पहुँच कर सूचना दी रवि जी , लवी जी को ..! चूँकि आज रविवार था तो " इंडिया गेट " पर प्रत्यंचा की बैठक थी ..! हम पहुँचे इंडिया गेट ! आज यहाँ हम मिले - रवि तिवारी जी , लवी जी , विभु अगरवाल जी , देवेन्द्र जी , अंकुश जी , गोपाल जी से ..फिर बैठ कर चर्चा का दौर चला ..और सबने मिल कर खाना भी खाया वहीं बैठ कर ..! सच में "प्रत्यंचा " के सदस्यों से मिल कर उनके विचार सुन कर ऐसा लगा ..जैसे हमें ऐसा बहुत कुछ मिल गया जो नहीं मिला था ! अब हमे विश्वास है ..हमारा भारत फिर से सनातन धर्म के ओज से ओत प्रोत हो जायेगा ! शाम होते होते ...हम वापस अपने होटल पहुँचे लवी जी के साथ ...वे हमारे साथ रहे रात के एक बजे तक ...! सच में उनके पास ऐसा ज्ञान है जो सनातन धर्म से भरा हुआ है ! ...जब वे गए तो ..हमने भी अपना सामान समेटा और सो गए ...!

आज तारीख थी - नौ ..! सुबह नौ बजे हमने ट्रेन में अपना स्थान ग्रहण किया और चल पड़े अपने नगर - रायपुर ..! रस्ते में पता चला - भोपाल के पास " उद्योग नगरी ' एक्सप्रेस के सात डिब्बे पटरी से उतर गए है ...! हमारी ट्रेन को रस्ते में रोक दिया गया .! कोई दो घंटे बाद जब ट्रेन चली तो उस स्थान से गुजरी जहाँ ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतर गए थे ..घटना सुबह छे बजे घटी थी और हमारी ट्रेन रात को आठ बजे उस स्थल से गुजरी ..हमने जब नज़ारा देखा तो लगा कम से कम साथ -सत्तर लोग तो मरे होंगे ..क्योंकि डिब्बे पूरी तरह से पटरी के दूसरी तरफ पलटते हुए गिरे थे ..! जैसे ही हमारी ट्रेन भोपाल स्टेशन पहुंची हमने वहां हेल्प डेस्क से पता किया तो बताया गया लोग केवल घायल हुए हैं ..! मन ही मन सोचते रहे - ये कैसी मानवीयता है ..? ये कैसा शासन है ? कम से कम जीवित को सम्मान नहीं दे सकते तो कोई बात नहीं ..मृत को तो सम्मान देना चाहिय ..! सुबह समाचार पत्रों में देखा तो बहुत छोटा सा समाचार था ! मन में कोफ़्त हुई ..? कैसी पत्रकारिता है आज की ...? जो लोग समाचारपत्र खरीद कर पढते हैं और ऐसी दुर्घटना में मारे जातें हैं ..उनके बारे में ये समाचार पत्र लिखते भी नहीं ..और जो लोग मुफ्त में समाचार पत्र पढते हैं उन्हें खासी भी आ जाये तो प्रथम पृष्ठ पर बड़ा सा समाचार आ जाता है ..! खैर ..मैंने ऐसा सफर जीवन में पहली बार किया जिसमे मैं केवल अपने उन मित्रों से मिलने गया जिन्हें कुछ महीने पहले तक जनता भी नहीं था , न ही कभी मिला था ..! इस फेस बुक का धन्यवाद कि मुझे इतने अच्छे मित्र मिले ..! मैंने इसके पहले बहुत यात्राये की ..पर ये एकदम अलग रही ..! इसका पूरा श्रेय मेरे मित्रों को जाता है ..! मैं ईश्वर से प्रार्थना करूँगा ...उनके जीवन में सदा सफलताएं उनके साथ रहें ...प्रसन्न रहें ..उनका परिवार हसी खुशी से रहे .....! और कुछ थोडा सा प्यार मुझे भी ऐसे ही देतें रहें ..! बस इतना ही ...! हाँ ..जो फोटो मैंने अपने कैमरे में ली हैं उन्हें अलग अलग अल्बम के रूप में अपनी प्रोफाइल में अपलोड की हैं ..इसे पढ़ने के बाद उन्हें भी देखना न भूलिएगा ..! आपका अपना ही ----मोहन लाल भया रायपुर हाँ कुछ मित्रों से मैं मिल नहीं पाया उनसे क्षमा चाहूँगा ..अब जब भी आऊंगा तो अवश्य मिलूँगा !

Sunday, May 8, 2011

आपके प्यार की उम्मीद


हम आपके प्यार की उम्मीद करते है
आप हमें नफरत की निगाह से देखते है
हमने आपको अपना माना
आपने हमें बेगानों में जाना
हमने आपके लिए क्या क्या ना किया
आपने मेरे साथ ऐसा क्यों कर डाला
एक थी आप सबसे नजदीक
अब मै हु आपसे बहुत दूर
नहीं चाहिए कुछ भी अब
जन्मो का रिश्ता पल में तोडा
मुझको तो अब कही का ना छोड़ा
खुश रह तू अपना घर बसा के
जी लूँगा मै अपना घर जला के
जी लूँगा मै अपना घर जला के
..........रवि तिवारी ........

तेरे बिना.......


तेरे बिना अब कभी ना खुश हो पाउँगा मै
दिल की दुनिया को अब सजा ना पाउँगा मै
चलता ही चला जा रहा हु मै
लगता है की मंजिल को ना पाउँगा मै
आशा की किरणों की चाह में
निराशा के भवर में फसता जा रहा हु मै
बहुत ही उत्साह और उमंग से जी रहा था
तेरे ही सहारे सपने बुन रहा था
चल दिए सब भुला के
आखो से अश्को की दरिया बहा के
अब तो अकेलापन से ही नाता है
लेकिन, आप दोस्तों का
प्यार ही मुझे अब भाता है
........रवि तिवारी........

Saturday, April 30, 2011


प्यार नहीं श्रींगार लिखने को जी चाहता है
भारत माँ की तकदीर बदलने को जी चाहता है
बहुत देख लिया बेईमानी
बहुत देख लिया गद्दारी
सब को सबक सिखाने को जी चाहता है
नेता हो या अभिनेता हो
पूरब का हो या पश्चिम का हो
जूतम-पैजार करने को जी चाहता है
देश की जनता तड़प रही है
भ्रष्टाचार और महंगाई में जल रही है
बहुत हो गया अब ये प्रशाशन
सबको बदल देने को जी चाहता है
नेता सारे चोर हो गए
जनता और गरीब हो गयी
चल चलो तुम सब मिल के सारे
दिल्ली का तख़्त हिलाने को जी चाहता है
दिल्ली का तख़्त हिलाने को जी चाहता है
............रवि तिवारी ...........

Monday, April 25, 2011

तुम्हारे आने के इन्तजार में...!!


तुम्हारे आने के इन्तजार में बैठा हु अब तक
तुम अगर ना आई तो कैसे रह पाउँगा मै
जिन्दगी का एक एक पल बीता जा रहा है
जीवन चक्र बहुत तेजी से चलता जा रहा है
तुम अगर ना आई तो गीत ना गा पाउँगा मै
सपने में ही ख्वाब सजाता रह जाऊंगा मै
कभी अपने कदमो को बढ़ा के तो देखो
खुशियों में अपने दामन को छुपा के तो देखो
हमारी नजरो से नजरे मिला के तो देखो
खुबसूरत ये जिन्दगी के पल
कभी हमारे साथ बिता के तो देखो
अब तो आ ही जाओ,इतना न खुद को छुपाओ
तुम्हारे आने के इन्तजार में बैठा हु अब तक
तुम अगर ना आई तो कैसे रह पाउँगा मै
अपने अरमान ना पुरे कर पाउँगा मै

Tuesday, April 19, 2011


भीड़ तो बहुत है ,लेकिन मै तन्हा क्यों हु
पास तो सभी है ,लेकिन कोई अपना क्यों नहीं
वादे तो सभी कर लेते है
लेकिन कोई निभाता क्यों नहीं
सपने तो बहुत है
लेकिन सच होता क्यों नहीं
मंजिल की चाह में बढ़ रहा हु
मंजिल मिलती क्यों नहीं
अपनों के शहर में
अपनापन क्यों नहीं

Friday, April 15, 2011

हम तुम्हे याद करते है दिल से
लेकिन अब नफरत भी करते है दिल से ..!!

भूल गयी तू मुझे....!!


भूल गयी तू मुझे
लेकिन मै ना भूल पाया तुझे
चली गयी तू किस दुनिया में
अंजानो की शहर में
छोड़ के अकेला
इस वीरानी धरती पे
किस के साथ ये दिल लगाऊ
किस से अपनी बात बताऊ
आह रे बेदर्दी
तुझे दर्द भी ना आई
कैसी है तू निर्दयी
तुझे दया भी ना आई
सब भुला के चल दी
हमको रुला के चल दी
तू खुश रह अब अपना घर बसा के
तू खुश रह अब मेरा घर जला के

Saturday, April 9, 2011


तुम मुझसे दूर होकर भी पास लगती हो
गर पास आ जाती तो कुछ और बात होती
तन्हा गुलाब भी दूर से खुबसूरत लगता है
तेरी महक आ जाती तो कुछ और बात होती
सर्द मौसम में अकेला कब से खड़ा हु
गर तू साथ चल देती तो कुछ और बात होती

Monday, April 4, 2011


तेरी नजरो के हम दीवाने है
एक नजर को हम तरसते है
कभी फुर्सत मिले तो आ जाना
दिल की प्यास बुझा जाना
कभी ना जाने की कोशिस करना
सदा के लिए मेरी ही हो जाना
जीवन में खुशिया महका दो
सतरंगी सपने दिखा दो
हकीकत में जीना सिखा दो
.....रवि तिवारी......

Saturday, April 2, 2011


हर ख़ुशी में तुझे ही याद करता है मेरा दिल
तू अब नहीं है ये भी जानता है मेरा ये दिल
दिल से लेकिन फिर भी तेरी याद जाती नहीं
भूल के भी तुझे याद करता है मेरा दिल
हम कैसे है यह तो जानता है सिर्फ मेरा ही दिल
आँखों से आसू अब बहते नहीं है
सिर्फ महसूस करता है मेरा ये दिल .....
.......रवि तिवारी .............

Sunday, March 27, 2011

भूल कर तुम्हे .....


भूल कर तुम्हे खुश हु अब मै
सपने सारे तोड़ के खुश हु अब मै
तेरे ख़त को जला कर खुश हु मै
खुद को भूल न जाऊ अब
सबसे दूर न हो जाऊ अब
सावन में बरसात हो ना जाऊ अब
ये सोच के उदास हो जाता हु
गम-ए-जुदाई में खो जाता हु
अपने आप को ही देखता हु अब
फिर भी
भूल कर तुम्हे खुश हु अब मै
सपने सारे तोड़ के खुश हु मै
.........रवि तिवारी......

Wednesday, March 23, 2011


आतंकवादी नहीं क्रांतिपुरुष थे भगत सिंह’
* राष्ट्रवादी संगठन प्रत्यंचा ने भगत-सुखदेव-राजगुरु को बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि
* शहीदी दिवस पर मोटरसाइकिल यात्रा निकाली, माल्यार्पण व पौधारापण कर किया नमन
बहादुरगढ़, 23 मार्च (हरियाणा न्यूज़ में प्रसारित समाचार)
सरकारी पुस्तकों में भगत सिंह व चंद्रशेखर आजाद सरीखे क्रांतिपुरुषों को आतंकवादी पढ़ाया जाना ना केवल शहीदों का बल्कि राष्ट्र का भी अपमान है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह कहना है राष्ट्रवादी संगठन ‘प्रत्यंचा’ के हरियाणा प्रभारी रवींद्र सिंह राठी का। भगत सिंह-सुखदेव-राजगुरु के बलिदान दिवस पर संगठन से जुड़े सैकड़ों नौजवानों ने मोटरसाइकिल पर सवार होकर शहर के प्रमुख मार्गों पर देशभक्ति के नारे लगाए। शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद पौधारोपण कर क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रत्यंचा के दिल्ली प्रभारी लवि भारद्धाज के अलावा सुरेंद्र सिंह चौहान, पार्षद वजीर राठी, जयहिंद प्रकाश, सुरेंद्र दहिया, मुनीष जैन, नरेश जून, दीपक गुप्ता, पप्पी परुथी, प्रवीण गुप्ता, लक्की दुआ, अनिल मिगलानी, पत्रकार शील भारद्वाज, कवि कृष्ण गोपाल विद्यार्थी, गुरुदेव राठी, प्रदीप चावला, अधिवक्ता रवि काजला, सतबीर दलाल, मोहित शर्मा, श्याम कुमार, रवि तिवारी, उमेद सिंधु, सुरेश कुमार, सुरेंद्र चुघ, पवन गोयल, लाल सिंह, कृष्ण, सोनू, विश्वास व देवेश आदि ने भगत सिंह-सुखदेव-राजगुरु को श्रद्धांजलि अर्पित की।

Sunday, March 20, 2011

जीने को तो जी लूँगा मै


तेरे आने की ख़ुशी में खुश था मै
सोचा ही न था की एक दिन तू जाएगी भी
जब जाना ही था तो आई ही क्यों थी
खुश हाल जीवन को वीराना बनायीं क्यों
जी रहा था अपने धुन में
अब तो मर भी नहीं पा रहा हु
घुट घुट के ना जी रहा हु ना मर रहा हु
तेरी याद में खुद को खो रहा हु
आँखों से अश्क रुकते नहीं
दिल का दर्द अब सह पाता नहीं
जीने को तो जी लूँगा मै
खून के आंसू पी लूँगा मै
बहुत हो गयी अब ये दिल्लगी
दुनिया के भीड़ में अब खो जाऊंगा मै
याद आपको भी आऊंगा मै
लेकिन अब कभी नहीं मिलूँगा मै
लेकिन अब कभी नहीं मिलूँगा मै ..!!
......रवि तिवारी ..........

Saturday, March 19, 2011


उसे मै कैसे समझाऊ मैंने उसे कितना चाहा है
कैसे बताऊ मै ,
जाने दो, मेरी सोच , मेरा प्यार
उसे खुद जानने दो,
मेरे प्यार की परीक्षा ले लेने दो
मुझे आजमा लेने दो
फिर भी वो मेरे प्यार को जान ना पाए
मुझे समझ ना पाए
तो फिर सोचता है मेरा दिल
खुद गुम हो जाओ,
जिन्दगी भर उसे खुश हो जाने दो
उस बेखबर को मुस्कुराने दो

Tuesday, March 15, 2011

जीने को जी चाहता है

ना मरने को जी चाहता है ना जीने को जी चाहता है
बीच भवर में डूब जाने को जी चाहता है
ख्वाबो और ख्यालो में बहुत खो चूका
अब हकीकत में घर बसाने को जी चाहता है
तेरे इन्तजार में सारा जीवन न बीत जाये
अब तो करीब आने को जी चाहता है
पी लिया बहुत गम का प्याला
अब तो ख़ुशी का पैमाना छलकाने को जी चाहता है
बहुत जी लिया तन्हाई में
अब तो तेरे साथ ही जीने को जी चाहता है
.............रवि तिवारी........

Saturday, March 12, 2011


साथ चल दिया था उसने भी
लेकिन, समय ने ही साथ छोड़ दिया

दुरिया बढती गयी ,आँखों से अश्क बहते चले गए
हम देखते रह गए,वो हमसे दूर चलते चले गए !!!

जाते जाते खुश कर के गयी
ख़ुशी न सही ,गम दे के गयी
रिश्ता कोई जोड़ न सकी तो क्या हुआ
कम से कम दिल को तोड़ के तो गयी
हम कुछ दे न सके तो क्या हुआ
मुझसे मेरी ख़ुशी लेकर तो गयी ..!!

Thursday, March 10, 2011

तेरी याद में आँखों से अश्क रुकते नहीं
तुम्हे अपना माना था
ये मेरा दिल अब मानता क्यों नहीं


दे दिया था अपना दिलो जान तुम्हे
मान लिया था अपना भगवान तुम्हे
चल दी तुम ले के जान मेरी
अब कुछ ना बचा पहचान मेरी...

Blogvani.com

Wednesday, March 9, 2011

जब से  वो आई जीवन में 
खुशियों की बहार आ गयी 
चल रहा था कभी मै भी अकेले 
खोया खोया रहता था 
 जब से साथ उनका मिला 
लगता है ,सारा जहा मिल गया 
उनका  मिलना साथ चलना 
फूलो का खिलना , वाह  !
जब वो चलती ही बागो में
फुल भी झूम जाते  है 
पेड़,पौधे ,नदी,झरने , पर्वतों से 
गीत गूंजने  लगते है 
उनको देख के मयूर भी 
झुमने लगते है 
कैसा वो आलम होगा , कैसा वो मंजर होगा 
जब उनका साथ , जीवन भर का होगा 
सपना सारा सच होगा 
जब उनका  हाथ मेरे हाथ में होगा !!!!
 ......रवि तिवारी ..........








Tuesday, March 8, 2011

सो जाता हु उनके ही ख्यालो में खोकर 
पता नहीं कब सुबह हुयी ,कब रात हुयी 
साथ  ऐसा मिला की उन्ही का हो गया 
सोने के बाद भी आकर  सुला देती है 
सपने में भी लोरी सुना देती है 
उनकी बातो में वो जादू  है की 
उन्ही का होने लगा हु ,
उनके ही ख्यालो में खोने लगा हु  
खुशबु फूलो की भी कम लगने लगती है 
जब वो पास आती है तो 
 बादल भी बरसने लगते है 
कोयल भी गीत गाने लगती है 
कोयल भी गीत गाने लगती है 
......रवि तिवारी ........... 



 

Sunday, March 6, 2011

हमसफ़र बन जाऊ ..!!

उनकी आँखों में देखा है वो  झील सी  गहराई 
साँसों में देखी है एक अजब सी महक   
दिल की वो बेचैनी,आज तक ना समझ आई 
जब उन्हें देखा तो मन में  एक ही ख्याल आया  
फूलो से भी कोमल ,परियो की दुलारी 
अपनी इस जान से  भी प्यारी 
राजकुमारी की नैनों का काजल बन जाऊ 
उनके सफ़र का साथी बन जाऊ 
साथ चल दू, मै उनके वो हमसफ़र बन जाऊ ..!!
...............रवि तिवारी ...... 





Saturday, March 5, 2011

दिल ही दिल

दिल ही दिल में उन्हें याद करता हु ,
उनके ही इन्तजार में बैठा रहता हु 
कब आयंगे वो ,ख्यालो में खोया रहता हु 
सुबह से शाम तक सोचता रहता हु 
सताने की उन्होंने कसम खा रखी है 
हमने भी इन्तजार करने की जिद कर ली है 
उनको अब मै बोलू ,
अपने  दिल से ही क्या खेलु
 उन्हें अपना मान लिया है 
दिल-ओं-जान से प्यार किया है 
वो मेरी है ,जान से प्यारी है 
किस्मत  हमारी है 
उनकी ख़ुशी में ख़ुशी हमारी है ! 



Bharat Swabhiman Rally..Ramlila Ground .....27 Feb 2011



Thursday, March 3, 2011



तेरे आने की आह्ट से ही मौसम सुहाना हो जाता है ,
ओस की बूंदे मोती बन जाता है
अब आई  तो जाने की जिद न करना 
पास बैठो , बैठे ही रहना 
 देखो दुनिया कितनी हसीं लगने लगी 
फिजा में बहार  छाने लगी 
मौसम भी मदमस्त हो गया 
ये जो तेरी आँखों का काजल 
काली घटा सी होने लगी 
तेरे जुल्फों के जादू  में 
पुरवैया पवन भी धीमे धीमे  
गुनगुनाने लगी 
 तेरे सुर्ख चेहरे की लाली से 
गुलाब भी शर्माने लगा 
यु ही पास बैठी रहो
ख्वावो में खोयी रहो 
जिन्दगी को हसीं बनाये रहो
साथ निभाती रहो,साथ चलती रहो 
मै भी हँसता रहू , तुम भी हँसती रहो 
दिल की दुनिया में 
ख़ुशी के गीत गाते रहो 
साथ साथ चलती रहो
साथ साथ चलती रहो 
......रवि  तिवारी .....







  

जिन्दगी में बहुत बार ऐसा वक़्त आएगा 
जब आपका चाहने वाला ही आपको रुलाएगा
मगर विशवास रखना उसकी वफ़ा पे
अकेले में वो आपसे ज्यादा आसू बहायेगा ..!!  


Wednesday, March 2, 2011


हम तुम्हे याद करते है, पल पल हर पल खोये खोये रहते है
कभी मै भी बहुत हँसता था, खेलता था, खुश रहता था
कहा गयी वो ख़ुशी, कहा गयी वो जिन्दादिली
अब तो तन्हाई से हो गयी दोस्ती,
ये दिल क्यों किसी को चाहता है,
ये मन अब क्यों नहीं लगता है,
क्या था और क्या हो गया
अब तो अँधेरा ही अच्छा लगता है,
अब तो सावन का महीने में भी डर लगता है
कोयल की आवाज़ कर्कश लगती है
गुलाब के पौधे में सिर्फ काटे ही नजर आते है
मै किसी को क्या बोलू,किस से दिल का हाल बताऊ
लड़ गया ज़माने से, हार गया अब अपने से
कभी मिल जाऊ तो बात कर लेना
ना मिलु तो याद भी ना करना
खो जाने को जी चाहता है
गम के अँधेरे में सो जाने को जी चाहता है
चलता हु अब बहुत हो गयी यारी
तुम खुश रहना मेरी प्राणप्यारी
हमेशा खुश रहना मेरी प्राणप्यारी
.....रवि तिवारी..........

Tuesday, March 1, 2011


जिसे अपना मानो वो गैर समझता है
जिसपे विश्वास करो करो वो लाचार समझता है
इसीलिए तो दिल में दर्द रहता है
बन जाऊंगा कठोर अब
हो जाऊंगा सबसे दूर अब
लिखने को दिल करता है
लेकिन, दर्द ही लिख देता हु
हसने को दिल करता है
लेकिन, मायूस हो जाता हु
बंद कर दिया लिखना
बंद कर दिया अब हसना
चुप ही रहूँगा
कुछ न कहूँगा
अब कुछ न कहूँगा
....रवि तिवारी....

Friday, February 25, 2011

क्या वो दिन .....


क्या वो दिन थे, क्या वो प्यार था 
वादे किये थे , कसमे खाए थे
सात जन्मो का साथ देने का 
खुद चल दिए ख़ुशी के दामन थाम के 
और मुझे छोड़ दिया अश्को के सागर में 
जी रही थी ख़ुशी ख़ुशी मै
आँखों में सुनहरे सपने सजोये 
दिल ही दिल में ख्वाब सजोये 
हाय रे निर्दयी ,तुझे दया भी ना आई 
कुछ ना सोचा , कुछ ना समझा 
जी रही थी तेरे सहारे 
अब मै जीयू किसके सहारे
आँखों से अश्क रुकते नहीं 
तेरी याद जाती नहीं 
दिल को कितना समझाऊ 
दिल नादान समझता नहीं 
हाय रे बेदर्दी ,तुझे दर्द भी ना हुआ 
अब जीयू मै किसके सहारे 
तू खुश हो गया अपना घर बसा के 
मुझे जिन्दा ही मार गया तू 
मेरा घर जला के ..
मेरा घर जला के.
....रवि तिवारी .....

Thursday, February 24, 2011

bedard

जिसके इंतजार में बैठा हु, उन्हें आने की फुर्सत नहीं
चला जाऊ महफ़िल से तो बोलेंगे इस बेदर्द को मेरी "फिक्र "नहीं ...

अब कितना चूर चूर करोगे इस तन्हा दिल को,
दो-चार दिल होता तो दे देता और खेलने को ......


बहुत हो गया अब ये दिल का खेल 
जी जी के मरने के काबिल भी न रहा ये दिल ...

Tuesday, February 22, 2011

तुम से मिलना,  मौसम बदलना 
फूलो की खुश्बू
गगन में फैलना 
आँखों का मिलन , चिडियों का चहचहाना
सुहाना मौसम 
नीला आसमान 
फिजा में बहार ....

Monday, February 21, 2011

इस से पहले की तू मुझे भूल जाये 
मै खुद को ही भूल जाऊंगा 
इस से पहले की तू  मेरे दिल को तोड़ो ,
खुद ही अपना दिल तोड़  जाऊंगा 
इस से पहले की आँखों में आंसू आये 
दिल की दरिया बहा जाऊंगा 
इस से पहले की तू मुझे याद आये 
तेरी यादो को भूल जाऊंगा 
तू मेरा इंतजार ना करना
मै तेरा इंतजार करते रहूँगा
इस से पहले की आह निकले तेरे दिल से
मै अपना दिल तोड़ जाऊंगा
गम के सागर में मर जाऊंगा