Total Pageviews

Sunday, May 8, 2011

तेरे बिना.......


तेरे बिना अब कभी ना खुश हो पाउँगा मै
दिल की दुनिया को अब सजा ना पाउँगा मै
चलता ही चला जा रहा हु मै
लगता है की मंजिल को ना पाउँगा मै
आशा की किरणों की चाह में
निराशा के भवर में फसता जा रहा हु मै
बहुत ही उत्साह और उमंग से जी रहा था
तेरे ही सहारे सपने बुन रहा था
चल दिए सब भुला के
आखो से अश्को की दरिया बहा के
अब तो अकेलापन से ही नाता है
लेकिन, आप दोस्तों का
प्यार ही मुझे अब भाता है
........रवि तिवारी........

4 comments:

  1. सुंदर मनोभावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति|धन्यवाद|

    ReplyDelete
  2. कितनी प्यारी कविता ...दोस्त बहुत प्यारे होते हैं.....

    ReplyDelete
  3. कमाल की पंक्तियाँ लिखी हैं ....... सुंदर

    ReplyDelete