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Saturday, March 19, 2011


उसे मै कैसे समझाऊ मैंने उसे कितना चाहा है
कैसे बताऊ मै ,
जाने दो, मेरी सोच , मेरा प्यार
उसे खुद जानने दो,
मेरे प्यार की परीक्षा ले लेने दो
मुझे आजमा लेने दो
फिर भी वो मेरे प्यार को जान ना पाए
मुझे समझ ना पाए
तो फिर सोचता है मेरा दिल
खुद गुम हो जाओ,
जिन्दगी भर उसे खुश हो जाने दो
उस बेखबर को मुस्कुराने दो

2 comments:

  1. खुद गुम हो जाओ,
    जिन्दगी भर उसे खुश हो जाने दो
    उस बेखबर को मुस्कुराने दो
    बहुत सुन्दर रवि जी उम्दा भाव आप की छोटी छोटी क्षणिकाएं मन को बहती हैं न जाने क्या क्या कह जाती हैं
    बधाई हो
    सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

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  2. मन को बहुत भाती हैं और उन बेखबर तक पहुँचाती हैं जिनकी ख़ुशी के लिए हम खो गए

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