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Friday, July 15, 2011

कायरो की तरह क्यों जीते हो


कायरो की तरह क्यों जीते हो
टुकडो में रोज रोज क्यों मरते हो
क्या खून नहीं तेरा पानी है
इसको ही कहते हो जवानी है
तुम भी बन सकते हो आज़ाद , भगत
सिर्फ एक धार दिखानी बाकी है
उस वक़्त भी गंगा में पानी था
वीर कुवर सिंह जैसा कोई नहीं सानी था
तुम भी बन सकते हो विश्व गुरु
बस एक बार हो जाओ सब शुरू
माँ भारती तुम्हे पुकार रही
आज वतन तुम्हारा कराह रहा
जो दर्द सहा है वीरांगनाओ ने
क्या उसके दर्द को तुम भूल गए
कायरो की तरह क्यों जीते हो
टुकडो में रोज रोज क्यों मरते हो
चलो चलो देश के नौजवानों
माता -बहनों और किसानो
निकाल लो म्यान से तलवारे
वतन के दुशमन को दिखा दो
तुम भी हो माँ भारती के सपूत
तुम भी हो माँ भारती के सपूत
..........रवि तिवारी .....

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