दिल में कुछ बात छुपी है
जुबान चुप है ,लव खामोश है
कहने को बहुत कुछ है
कैसे कहू हिम्मत नहीं है
तुझे अपना मान लिया
बताने से डरता हु
ख्वाब देख लिया बहुत
लेकिन हकीकत से डरता हु
एक अनजाने सफ़र पर चल रहा हु
मंजिल का पता नहीं
अंजानो के शहर में
वीरानी के अथाह सागर में
चलता ही जा रहा हु
उनसे पहली मुलाकात भूलती नहीं
उनके बिना अब सफ़र कटती नही
कैसे समझू उनकी मन की बात
कभी खुलकर कुछ कहती नहीं
अब, कैसे कहू
मै अपने मन की बात
जुबा चुप है , लव खामोश है
कहने को बहुत कुछ है
कैसे कहू हिम्मत नहीं है
......रवि तिवारी .....
agar vo majbur hai... to aap unki majburi samajhiye....
ReplyDeleteSundar Rajacha.....
ReplyDeleteOopps.....Rachana I mean..sorry.
ReplyDeletenice poem keep it up!!
ReplyDeleteDHANYVAAD .....save girl.....mohinee jee....geeta ji...
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