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Tuesday, March 8, 2011

सो जाता हु उनके ही ख्यालो में खोकर 
पता नहीं कब सुबह हुयी ,कब रात हुयी 
साथ  ऐसा मिला की उन्ही का हो गया 
सोने के बाद भी आकर  सुला देती है 
सपने में भी लोरी सुना देती है 
उनकी बातो में वो जादू  है की 
उन्ही का होने लगा हु ,
उनके ही ख्यालो में खोने लगा हु  
खुशबु फूलो की भी कम लगने लगती है 
जब वो पास आती है तो 
 बादल भी बरसने लगते है 
कोयल भी गीत गाने लगती है 
कोयल भी गीत गाने लगती है 
......रवि तिवारी ........... 



 

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