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Sunday, March 27, 2011
भूल कर तुम्हे .....
भूल कर तुम्हे खुश हु अब मै
सपने सारे तोड़ के खुश हु अब मै
तेरे ख़त को जला कर खुश हु मै
खुद को भूल न जाऊ अब
सबसे दूर न हो जाऊ अब
सावन में बरसात हो ना जाऊ अब
ये सोच के उदास हो जाता हु
गम-ए-जुदाई में खो जाता हु
अपने आप को ही देखता हु अब
फिर भी
भूल कर तुम्हे खुश हु अब मै
सपने सारे तोड़ के खुश हु मै
.........रवि तिवारी......
Wednesday, March 23, 2011
आतंकवादी नहीं क्रांतिपुरुष थे भगत सिंह’
* राष्ट्रवादी संगठन प्रत्यंचा ने भगत-सुखदेव-राजगुरु को बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि
* शहीदी दिवस पर मोटरसाइकिल यात्रा निकाली, माल्यार्पण व पौधारापण कर किया नमन
बहादुरगढ़, 23 मार्च (हरियाणा न्यूज़ में प्रसारित समाचार)
सरकारी पुस्तकों में भगत सिंह व चंद्रशेखर आजाद सरीखे क्रांतिपुरुषों को आतंकवादी पढ़ाया जाना ना केवल शहीदों का बल्कि राष्ट्र का भी अपमान है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह कहना है राष्ट्रवादी संगठन ‘प्रत्यंचा’ के हरियाणा प्रभारी रवींद्र सिंह राठी का। भगत सिंह-सुखदेव-राजगुरु के बलिदान दिवस पर संगठन से जुड़े सैकड़ों नौजवानों ने मोटरसाइकिल पर सवार होकर शहर के प्रमुख मार्गों पर देशभक्ति के नारे लगाए। शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद पौधारोपण कर क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रत्यंचा के दिल्ली प्रभारी लवि भारद्धाज के अलावा सुरेंद्र सिंह चौहान, पार्षद वजीर राठी, जयहिंद प्रकाश, सुरेंद्र दहिया, मुनीष जैन, नरेश जून, दीपक गुप्ता, पप्पी परुथी, प्रवीण गुप्ता, लक्की दुआ, अनिल मिगलानी, पत्रकार शील भारद्वाज, कवि कृष्ण गोपाल विद्यार्थी, गुरुदेव राठी, प्रदीप चावला, अधिवक्ता रवि काजला, सतबीर दलाल, मोहित शर्मा, श्याम कुमार, रवि तिवारी, उमेद सिंधु, सुरेश कुमार, सुरेंद्र चुघ, पवन गोयल, लाल सिंह, कृष्ण, सोनू, विश्वास व देवेश आदि ने भगत सिंह-सुखदेव-राजगुरु को श्रद्धांजलि अर्पित की।
Sunday, March 20, 2011
जीने को तो जी लूँगा मै
तेरे आने की ख़ुशी में खुश था मै
सोचा ही न था की एक दिन तू जाएगी भी
जब जाना ही था तो आई ही क्यों थी
खुश हाल जीवन को वीराना बनायीं क्यों
जी रहा था अपने धुन में
अब तो मर भी नहीं पा रहा हु
घुट घुट के ना जी रहा हु ना मर रहा हु
तेरी याद में खुद को खो रहा हु
आँखों से अश्क रुकते नहीं
दिल का दर्द अब सह पाता नहीं
जीने को तो जी लूँगा मै
खून के आंसू पी लूँगा मै
बहुत हो गयी अब ये दिल्लगी
दुनिया के भीड़ में अब खो जाऊंगा मै
याद आपको भी आऊंगा मै
लेकिन अब कभी नहीं मिलूँगा मै
लेकिन अब कभी नहीं मिलूँगा मै ..!!
......रवि तिवारी ..........
Saturday, March 19, 2011
उसे मै कैसे समझाऊ मैंने उसे कितना चाहा है
कैसे बताऊ मै ,
जाने दो, मेरी सोच , मेरा प्यार
उसे खुद जानने दो,
मेरे प्यार की परीक्षा ले लेने दो
मुझे आजमा लेने दो
फिर भी वो मेरे प्यार को जान ना पाए
मुझे समझ ना पाए
तो फिर सोचता है मेरा दिल
खुद गुम हो जाओ,
जिन्दगी भर उसे खुश हो जाने दो
उस बेखबर को मुस्कुराने दो
Tuesday, March 15, 2011
जीने को जी चाहता है
ना मरने को जी चाहता है ना जीने को जी चाहता है
बीच भवर में डूब जाने को जी चाहता है
ख्वाबो और ख्यालो में बहुत खो चूका
अब हकीकत में घर बसाने को जी चाहता है
तेरे इन्तजार में सारा जीवन न बीत जाये
अब तो करीब आने को जी चाहता है
पी लिया बहुत गम का प्याला
अब तो ख़ुशी का पैमाना छलकाने को जी चाहता है
बहुत जी लिया तन्हाई में
अब तो तेरे साथ ही जीने को जी चाहता है
.............रवि तिवारी........
बीच भवर में डूब जाने को जी चाहता है
ख्वाबो और ख्यालो में बहुत खो चूका
अब हकीकत में घर बसाने को जी चाहता है
तेरे इन्तजार में सारा जीवन न बीत जाये
अब तो करीब आने को जी चाहता है
पी लिया बहुत गम का प्याला
अब तो ख़ुशी का पैमाना छलकाने को जी चाहता है
बहुत जी लिया तन्हाई में
अब तो तेरे साथ ही जीने को जी चाहता है
.............रवि तिवारी........
Saturday, March 12, 2011
साथ चल दिया था उसने भी
लेकिन, समय ने ही साथ छोड़ दिया
दुरिया बढती गयी ,आँखों से अश्क बहते चले गए
हम देखते रह गए,वो हमसे दूर चलते चले गए !!!
जाते जाते खुश कर के गयी
ख़ुशी न सही ,गम दे के गयी
रिश्ता कोई जोड़ न सकी तो क्या हुआ
कम से कम दिल को तोड़ के तो गयी
हम कुछ दे न सके तो क्या हुआ
मुझसे मेरी ख़ुशी लेकर तो गयी ..!!
Thursday, March 10, 2011
तेरी याद में आँखों से अश्क रुकते नहीं
तुम्हे अपना माना था
ये मेरा दिल अब मानता क्यों नहीं
दे दिया था अपना दिलो जान तुम्हे
मान लिया था अपना भगवान तुम्हे
चल दी तुम ले के जान मेरी
अब कुछ ना बचा पहचान मेरी...
तुम्हे अपना माना था
ये मेरा दिल अब मानता क्यों नहीं
दे दिया था अपना दिलो जान तुम्हे
मान लिया था अपना भगवान तुम्हे
चल दी तुम ले के जान मेरी
अब कुछ ना बचा पहचान मेरी...
Wednesday, March 9, 2011
जब से वो आई जीवन में
खुशियों की बहार आ गयी
चल रहा था कभी मै भी अकेले
खोया खोया रहता था
जब से साथ उनका मिला
लगता है ,सारा जहा मिल गया
उनका मिलना साथ चलना
फूलो का खिलना , वाह !
जब वो चलती ही बागो में
फुल भी झूम जाते है
पेड़,पौधे ,नदी,झरने , पर्वतों से
गीत गूंजने लगते है
उनको देख के मयूर भी
झुमने लगते है
कैसा वो आलम होगा , कैसा वो मंजर होगा
जब उनका साथ , जीवन भर का होगा
सपना सारा सच होगा
जब उनका हाथ मेरे हाथ में होगा !!!!
......रवि तिवारी ..........
Tuesday, March 8, 2011
सो जाता हु उनके ही ख्यालो में खोकर
पता नहीं कब सुबह हुयी ,कब रात हुयी
साथ ऐसा मिला की उन्ही का हो गया
सोने के बाद भी आकर सुला देती है
सपने में भी लोरी सुना देती है
उनकी बातो में वो जादू है की
उन्ही का होने लगा हु ,
उनके ही ख्यालो में खोने लगा हु
खुशबु फूलो की भी कम लगने लगती है
जब वो पास आती है तो
बादल भी बरसने लगते है
कोयल भी गीत गाने लगती है
कोयल भी गीत गाने लगती है
......रवि तिवारी ...........
Sunday, March 6, 2011
हमसफ़र बन जाऊ ..!!
उनकी आँखों में देखा है वो झील सी गहराई
साँसों में देखी है एक अजब सी महक
दिल की वो बेचैनी,आज तक ना समझ आई
जब उन्हें देखा तो मन में एक ही ख्याल आया
फूलो से भी कोमल ,परियो की दुलारी
अपनी इस जान से भी प्यारी
राजकुमारी की नैनों का काजल बन जाऊ
उनके सफ़र का साथी बन जाऊ
साथ चल दू, मै उनके वो हमसफ़र बन जाऊ ..!!
...............रवि तिवारी ......
Saturday, March 5, 2011
दिल ही दिल
दिल ही दिल में उन्हें याद करता हु ,
उनके ही इन्तजार में बैठा रहता हु
कब आयंगे वो ,ख्यालो में खोया रहता हु
सुबह से शाम तक सोचता रहता हु
सताने की उन्होंने कसम खा रखी है
हमने भी इन्तजार करने की जिद कर ली है
उनको अब मै बोलू ,
अपने दिल से ही क्या खेलु
उन्हें अपना मान लिया है
दिल-ओं-जान से प्यार किया है
वो मेरी है ,जान से प्यारी है
किस्मत हमारी है
उनकी ख़ुशी में ख़ुशी हमारी है !
Thursday, March 3, 2011
तेरे आने की आह्ट से ही मौसम सुहाना हो जाता है ,
ओस की बूंदे मोती बन जाता है
अब आई तो जाने की जिद न करना
पास बैठो , बैठे ही रहना
देखो दुनिया कितनी हसीं लगने लगी
फिजा में बहार छाने लगी
मौसम भी मदमस्त हो गया
ये जो तेरी आँखों का काजल
काली घटा सी होने लगी
तेरे जुल्फों के जादू में
पुरवैया पवन भी धीमे धीमे
गुनगुनाने लगी
तेरे सुर्ख चेहरे की लाली से
गुलाब भी शर्माने लगा
यु ही पास बैठी रहो
ख्वावो में खोयी रहो
जिन्दगी को हसीं बनाये रहो
साथ निभाती रहो,साथ चलती रहो
मै भी हँसता रहू , तुम भी हँसती रहो
दिल की दुनिया में
ख़ुशी के गीत गाते रहो
साथ साथ चलती रहो
साथ साथ चलती रहो
......रवि तिवारी .....
Wednesday, March 2, 2011
हम तुम्हे याद करते है, पल पल हर पल खोये खोये रहते है
कभी मै भी बहुत हँसता था, खेलता था, खुश रहता था
कहा गयी वो ख़ुशी, कहा गयी वो जिन्दादिली
अब तो तन्हाई से हो गयी दोस्ती,
ये दिल क्यों किसी को चाहता है,
ये मन अब क्यों नहीं लगता है,
क्या था और क्या हो गया
अब तो अँधेरा ही अच्छा लगता है,
अब तो सावन का महीने में भी डर लगता है
कोयल की आवाज़ कर्कश लगती है
गुलाब के पौधे में सिर्फ काटे ही नजर आते है
मै किसी को क्या बोलू,किस से दिल का हाल बताऊ
लड़ गया ज़माने से, हार गया अब अपने से
कभी मिल जाऊ तो बात कर लेना
ना मिलु तो याद भी ना करना
खो जाने को जी चाहता है
गम के अँधेरे में सो जाने को जी चाहता है
चलता हु अब बहुत हो गयी यारी
तुम खुश रहना मेरी प्राणप्यारी
हमेशा खुश रहना मेरी प्राणप्यारी
.....रवि तिवारी..........
Tuesday, March 1, 2011
जिसे अपना मानो वो गैर समझता है
जिसपे विश्वास करो करो वो लाचार समझता है
इसीलिए तो दिल में दर्द रहता है
बन जाऊंगा कठोर अब
हो जाऊंगा सबसे दूर अब
लिखने को दिल करता है
लेकिन, दर्द ही लिख देता हु
हसने को दिल करता है
लेकिन, मायूस हो जाता हु
बंद कर दिया लिखना
बंद कर दिया अब हसना
चुप ही रहूँगा
कुछ न कहूँगा
अब कुछ न कहूँगा
....रवि तिवारी....
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