Total Pageviews

Tuesday, March 15, 2011

जीने को जी चाहता है

ना मरने को जी चाहता है ना जीने को जी चाहता है
बीच भवर में डूब जाने को जी चाहता है
ख्वाबो और ख्यालो में बहुत खो चूका
अब हकीकत में घर बसाने को जी चाहता है
तेरे इन्तजार में सारा जीवन न बीत जाये
अब तो करीब आने को जी चाहता है
पी लिया बहुत गम का प्याला
अब तो ख़ुशी का पैमाना छलकाने को जी चाहता है
बहुत जी लिया तन्हाई में
अब तो तेरे साथ ही जीने को जी चाहता है
.............रवि तिवारी........

2 comments: