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Sunday, May 8, 2011

आपके प्यार की उम्मीद


हम आपके प्यार की उम्मीद करते है
आप हमें नफरत की निगाह से देखते है
हमने आपको अपना माना
आपने हमें बेगानों में जाना
हमने आपके लिए क्या क्या ना किया
आपने मेरे साथ ऐसा क्यों कर डाला
एक थी आप सबसे नजदीक
अब मै हु आपसे बहुत दूर
नहीं चाहिए कुछ भी अब
जन्मो का रिश्ता पल में तोडा
मुझको तो अब कही का ना छोड़ा
खुश रह तू अपना घर बसा के
जी लूँगा मै अपना घर जला के
जी लूँगा मै अपना घर जला के
..........रवि तिवारी ........

3 comments:

  1. oof......

    जी लूँगा मै अपना घर जला के
    जी लूँगा मै अपना घर जला के

    ise soch se ubharna aur jindagee ko sawarna jarooree hai..... rishte bante hai kabhee kabhee bigdate bhee hai par jindagee ise nahee fisalne dena hai bahare lana humare hee hath me hai.

    shubhkamnae

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  2. बहुत सुंदर पंक्तियाँ हैं.... सरल शब्द गहन भाव

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  3. ला-जवाब" जबर्दस्त!!
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2011/05/blog-post_25.html#links

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