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Wednesday, August 31, 2011

तुम आज भी खास हो ......


तुम आज भी खास हो
कल भी खास थी
वो वक्त भी खास था
जब तुम मेरे पास थी
आज मै उदास हु
जब नहीं पास हो
लेकिन अब भी मुझे
तुम्हारा थोडा थोडा एहसास है
वो कोयल की बोली
तेरी नैनों का काजल
तेरा हसना , मचलना , चहकना
झरनों का शोर
कर देता है मुझको निराश
लेकिन, तुम आज भी खास हो
कल भी खास थी
ख्वाबो में आना
लड़ना , झगड़ना , हसना- हसाना
रोना -रुलाना
आने का वादा करके ,ना आना
करके छोटा सा बहाना
हमेशा के लिए जाना
मुझके सताना , रुलाना
कर देता है मुझको निराश
लेकिन, तुम आज भी खास हो
कल भी खास थी
......रवि तिवारी ......

Sunday, August 28, 2011

कैसे कहू.....!!


दिल में कुछ बात छुपी है
जुबान चुप है ,लव खामोश है
कहने को बहुत कुछ है
कैसे कहू हिम्मत नहीं है
तुझे अपना मान लिया
बताने से डरता हु
ख्वाब देख लिया बहुत
लेकिन हकीकत से डरता हु
एक अनजाने सफ़र पर चल रहा हु
मंजिल का पता नहीं
अंजानो के शहर में
वीरानी के अथाह सागर में
चलता ही जा रहा हु
उनसे पहली मुलाकात भूलती नहीं
उनके बिना अब सफ़र कटती नही
कैसे समझू उनकी मन की बात
कभी खुलकर कुछ कहती नहीं
अब, कैसे कहू
मै अपने मन की बात
जुबा चुप है , लव खामोश है
कहने को बहुत कुछ है
कैसे कहू हिम्मत नहीं है
......रवि तिवारी .....

Wednesday, August 24, 2011

दिल के गहरे जख्म


मै लफ्जो में कुछ बता नहीं सकता
दिल के गहरे जख्म दिखा नहीं सकता
राहे उल्फत में साथी तो बहुत मिले
गगन में तारे भी बहुत देखे
जिसे अपना बनाना चाहा
उसे हम कभी अपना बना नहीं सकते
वफ़ा का जबाब ने बेवफा बना दिया
फुल था अब पत्थर बना दिया
अपनों ने ही ठुकरा दिया
कैसे तुम्हे दिखाऊ दिखा नहीं सकता
मै लफ्जो में कुछ बता नहीं सकता
ख्वाब मेरे भी बहुत थे
जीवन के सफ़र में
आसमान तक जाने की
सभी उचाइयो को छुने की
लेकिन क्या करू,
खुद पंख लगा नहीं सकता
मै लफ्जो में कुछ बता नहीं सकता
दिल के गहरे जख्म दिखा नहीं सकता
..........रवि तिवारी ......

Friday, August 19, 2011

पायल


सुन कर तेरी यह पायल की झंकार
दिल हो गया घायल मेरा बारम्बार
अब और होता नहीं तेरा इन्तजार
अब आ भी जाओ तुम पायल बजा कर
जब तुम चलती हो इसको पहनकर
अपने नन्हे से दिल को थाम कर
ओश की बुँदे की तरह शरमा कर
आँखों में काजल लगा कर
माथे की बिंदी की सजा कर
मेरा दिल तब कहता है घबरा कर
आ जाओ अब तुम पायल बजा कर
अपना बना लो अपना समझ कर
बजा दो दिल के तार वीणा समझ कर
नजरो में समां लो काजल बना कर
अपना बना लो अपना समझ कर
......रवि तिवारी.......

Wednesday, August 17, 2011

छोटी सी मुलाक़ात का वो दिन...


तेरे साथ एक छोटी सी मुलाक़ात का वो दिन
याद है अब भी बरसात का वो एक दिन
हमने देखी थी तेरी आँखों में एक सच्चाई
सबसे अच्छी थी तेरी यह अच्छाई
पल भर की वो मुलाकात
तुमसे थोड़ी सी वो बात
क्या खूब थे तेरे जज्बात
भूल गया अपनी सारी बात
तुझे देख कर देखता ही रहा
अपने मन को कुरेदता ही रहा
मन में ख्वाब सजाता ही रहा
बात करता ही रहा
अब तो, ना भूलता कभी मुलाक़ात का वो दिन
अब भी याद है वो बरसात का दिन
फिर से एक मुलाक़ात करवा दो
जमकर बरसात करवा दो
जमकर बरसात करवा दो..!!
.......रवि तिवारी.......

Thursday, August 4, 2011

kuch kuch...


उनके गलियों से जब गुजरे तो मंजर अजीब था
दर्द था मगर वो दिल के करीब था.......!!

सपनो की तरह आकर चले गए
अपनों को भुलाकर चले गए
किस भूल की सजा दी आपने हमें
पहले हसाया फिर रुलाकर चले गए ,,,

दिल की उदासियो को मिटा ना सका
तेरी याद दिल से भुला ना सका..!!

इतना आसान होता अगर यह दिल का खेल
तो दे देता दो चार और दिल, इस से भी खेल .. !

आपसे दूर होकर हम जायेंगे कहा
आप जैसा दोस्त हम पाएंगे कहा
दिल को कैसे भी संभाल लेंगे
पर आँखों के आंसू हम छुपायेंगे कहा .


दूर हो हमसे लेकिन पास हो
अनजानी हो लेकिन खास हो..

ना जाने उन पर इतना यकीन क्यों होता है
दूर है फिर भी पास में महसूस क्यों होता है ...