Total Pageviews

Friday, July 22, 2011

छोटी छोटी शायरी !!


तेरे शहर में अब मेरा मन लगता नहीं
जिसे अपना समझा वो अपना समझती नहीं ..!!

भूल कर भी उसे भूल ना पाया
हमेशा अपनी यादो में पाया ..!!

तेरी चाहत में बैठे रहे वो ज़माने से लड़कर
तुम चल दी उसी का दामन छोड़ कर..!!

न जीने को जी चाहता है ना मरने को
बीच भवर में डूब जाने को जी चाहता है ..!!

काश कोई अपना होता जिसे हम अपना कहते
आ जाती हकीकत में कभी ना हम उसे सपना कहते..!!

हम तो आज भी उनके इन्तजार में बैठे है
सितारों की महफ़िल सजाये बैठे है..!!

उसकी फरियाद ही तो अब जीने नहीं देती
उफ़ ये जमाना है कि मरने नहीं देता...!!

अँधेरे में ही जीता था अँधेरे में ही जिऊंगा
अब तो सुबह और शाम हमेशा पियूँगा ..!!

2 comments:

  1. join this site please...>>>>http://world4freeee.blogspot.c​om/

    ReplyDelete
  2. oh wow nice one ravi ji i like it very much

    ReplyDelete