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Sunday, September 4, 2011

काजल


तेरे नैनों का काजल
कर देता है मुझको घायल
जब देखता हु तुमको
खो जाता हु ख्यालो में
वीणा की तारो में
पायल की झंकारो में
हुस्न की गहराई में
रेशमी घने जुल्फों में
तेरे नैनो का काजल
कर देता है मुझको घायल
जब आती हो काजल लगाकर
खो जाता हु ख्वाबो में
तेरी ही यादो में
पलाश के फूलो में
तेरे कजरारे नैनों की
झील की गहराई में
सावन के महीने में
रिमझिम फुहारों में
ये तेरे नयनो का काजल
कर देता है मुझे घायल
कर देता है मुझे घायल
.....रवि तिवारी.....

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