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Thursday, March 3, 2011



तेरे आने की आह्ट से ही मौसम सुहाना हो जाता है ,
ओस की बूंदे मोती बन जाता है
अब आई  तो जाने की जिद न करना 
पास बैठो , बैठे ही रहना 
 देखो दुनिया कितनी हसीं लगने लगी 
फिजा में बहार  छाने लगी 
मौसम भी मदमस्त हो गया 
ये जो तेरी आँखों का काजल 
काली घटा सी होने लगी 
तेरे जुल्फों के जादू  में 
पुरवैया पवन भी धीमे धीमे  
गुनगुनाने लगी 
 तेरे सुर्ख चेहरे की लाली से 
गुलाब भी शर्माने लगा 
यु ही पास बैठी रहो
ख्वावो में खोयी रहो 
जिन्दगी को हसीं बनाये रहो
साथ निभाती रहो,साथ चलती रहो 
मै भी हँसता रहू , तुम भी हँसती रहो 
दिल की दुनिया में 
ख़ुशी के गीत गाते रहो 
साथ साथ चलती रहो
साथ साथ चलती रहो 
......रवि  तिवारी .....







  

1 comment:

  1. धार्मिक मुद्दों पर परिचर्चा करने से आप घबराते क्यों है, आप अच्छी तरह जानते हैं बिना बात किये विवाद ख़त्म नहीं होते. धार्मिक चर्चाओ का पहला मंच ,
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