Total Pageviews

Wednesday, May 11, 2011

अविस्म्ररनीय यादें : अपने फेस बुक के मित्रों से मिलने की..!...mere mitra mohan ji ne likhi hai ye vivran !!!

एक समय था जब मेरा कोई मित्र नहीं था तब मैं सोचा करता था - मित्र के साथ कैसा लगता है , कैसे अनुभव होतें हैं ? मेरी दुनिया केवल मेरे उद्देश्य के लिए थी , अपने परिवार के लिए , अपने आफिस के लिए ..बस ..! पर जब एक दिन अचानक मैंने फेस बुक देखी तो ऐसे ही उसमे अपनी आई डी बना ली ..! कुछ समय देखा भी नहीं फिर जब मन में आया तो फेस बुक में मित्र बनाने शुरू किये ..उस समय समझ में नहीं आता था क्या बात करूँ ..कैसे बात करूँ ..? इस बात का पता ही नहीं चला कैसे मैं इसमें डूबता चला गया ..शायद ठीक वैसे ही जैसे ."किसी से प्यार हो जाये और दिन रात उसके बारे में ही सोचे ..सपने देखें ..मधुर गाने सुने ...सुनाएँ ..! " मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ ..मुझे भी प्यार हो गया ..और ऐसा प्यार की ..बिना अपने प्यार से हसी मजाक किये ..बातें किये बिना .न तो खाना ही अच्छा लगता था ..न ही कहीं मन ही लगता था ..प्यार में ऐसा डूबा कि अपने प्यार के प्यार की जाने कितनी कवितायेँ भी लिख डालीं ..! सब कहने लगे .." क्या होगा इस बंदे का ? " अब ऐसा है न जब प्यार होता है तो हमे किसी की बातें भी सुनाई नहीं देती न ..केवल अपने प्यार की ही बातें सुनाई देतीं है न ..! मेरी प्रेमिका का नाम है - फेस बुक

तो ऐसे ही समय बीतता गया ..एक दिन मैंने सोचा क्यों न अपने मित्रों से मिलने जाया जाये ..?

बस फिर क्या था ..मैंने प्रोग्राम बनाया ..और निकल पड़ा ....!!दिन था ३० अप्रेल ..समय दोपहर के एक बजे ...ट्रेन में द्वितीये श्रेणी के वातानुकूलित शयन यान में मैं अपनी सीट पर था ! मेरी यात्रा रायपुर से दिल्ली के लिए थी ...!

ट्रेन में बैठे बैठे मैंने अपने मित्रों को फोन से बताया मैं उनसे मिलने आ रहा हूँ ..! दूसरे दिन एक मई को सुबह लगभग दस बजे मैं दिल्ली पहुंचा ..वहां स्टेशन पर मुझे लेने के लिए आये थे मेरे मित्र - हिमांशु नागपाल जी ! (हिमांशु जी ने ही मुझे ये साफ्ट वेयर दिया जिससे मैं हिंदी लिख सकता हूँ अंग्रेजी से हिंदी !) उनके साथ मैं पहुंचा "इंडिया गेट " जहाँ हर रविवार को " प्रत्यंचा -सनातन संस्कृति के साथ विकास की ओर " की बैठक होती है ! ये फेस बुक का ग्रुप है जिसे हम बहुत पसंद करतें हैं ! यहाँ पहुँचे तो देखा - लोवी भारद्वाज हमारा इंतजार कर रहे थे ..कुछ समय बाद " रवि तिवारी जी " ओम जी भी पहुँचे हम सबने मिल कर अपने ग्रुप के उद्देशों पर चर्चा की ..जानते हैं ये चर्चा चली लगभग चार घंटे ...! इस बीच हमने चाय , कुछ चिप्स , कुछ चने ..खाए ..! फिर कुछ फोटो ली हमने अपने कैमरे में ...शाम हुई तो हम गए हिमांशु जी के घर ..समय हुआ था शाम के सात बजे ...उनके घर हमने शाम को लंच किया ..! हिमांशु जी का छोटा सा परिवार ..उनकी पत्नी और पुत्र ..! एकदम करीने से सजाया हुआ सुन्दर सा घर ..जिसमे एक छोटा सा मंदिर .."राधा कृष्ण जी " की सुन्दर प्रतिमाएं ..! वहां खाना खा कर हम पहुंचे अपने होटल ..जहाँ हमने अपना सामान रहा ..और कुछ ही समय हुआ था कि लवी जी का फोन आया ..कि वे आ रहें हैं ..हम उनके साथ गए ..ताज रेस्टोरेंट ..जहाँ उनके एक और मित्र के साथ बातें करते हुए खाना भी खाया ..इस समय रात के एक बज रहे थे ...! लवी जी के साथ जब हम वापस होटल आ रहे थे उनकी मोटर साइकिल पर तो वे इस तरह आस पास गुजरते स्थानों के बारे में बताते जा रहे थे ...कि लगा ये सब तो किसी किताब में भी नहीं होगा ! सच में लवी जी के पास दिल्ली के हर हिस्से की सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी है ..कि हम हैरान हो गए थे ! होटल आ कर फिर लवी जी के साथ चर्चा का दौर चला ..जब मनपसंद बातें होती है तो पता ही नहीं चलता न समय कैसे बीत गया ? ऐसा ही हमारे साथ भी हुआ ! कब सुबह के चार बजे ...! अब लवी ने हमसे इजाजत ली और चले गए ..हमने भी कुछ घंटों की नींद ली ! इस तरह एक दिन पूरा हुआ ...आज तारीख थी दो मई !सुबह लगभग ग्यारह बजे रवि जी अपनी कार ले कर आये हमारे पास ..! कहा चलिए चलते हैं ..एक और खास मित्र से मिलने ...! हमने कहा ठीक है चलते हैं ..! बाते करते करते हम पहुँचे - राष्ट्रिय स्वयं संघ के मुख्यालय ...! यहाँ पहुँच कर जब रवि जी ने नाम बताया किससे मिल रहें हैं तो हम हैरान हो गए ..? जानतें हैं ...हम किनसे मिले ----हम मिले अपने मित्र - " रत्नेश त्रिपाठी जी ' से ..! हमे पता ही नहीं था वे यहाँ रहतें हैं ..? खैर ..जब रत्नेश जी से मिले तो वे बड़े ही आत्मीय ढंग से गले मिल कर मिले ..या कहें - " जादू की झप्पी " ! उन्होंने हमे पूरा कार्यालय घुमाया ..सब जानकारी दी...! हमने अपनी तस्वीरे भी ली ..! साथ ही गरम गरम समोसे और चाय भी पी ..हमारे मित्र रवि जी ने यहाँ - रामायण पाठ भी किया ..! हमने सेमिनार हाल में डायस पर कुछ फ़िल्मी तरीके से डायलाग भी बोले ...! हमे रत्नेश जी ने बताया वे यहाँ इसलिए रुके है कि उनकी पी अच् डी की थीसिस हो जाये ! हमने उनकी थीसिस देखी ..प्राचीन इतिहास पर है उनकी थीसिस - सरस्वती नदी पर ! हमने उन्हें शुभकामनाये दी..! हमने सुना था शुभकामनाओं में शक्ति होती है ...पर देखा पहली बार ...इधर हमने रत्नेश जी को शुभकामनाये दी और अभी जब हम वापस आये तो सूचना मिली की रत्नेश जी को " डाक्टर " की उपाधि मिल गई ..! इसलिए आप भी जिसे भी शुभकामनायें दे दिल से --प्यार से दें ..देखिएगा कितना असर होता है ..जब शुभकामनाये सफल होतीं हैं तो मन खुश हो जाता है न ..! रत्नेश जी से मिल कर हम और रवि जी ..चले दिल्ली घूमने ..!तभी रवि जी ने अपने मोबाईल पर किसी से बात की ..और हमसे कहा - मोहन जी , आपको मिलवातें हैं - अपनी एक महिला मित्र से ..! हमने कहा - ठीक है मिलवाइए ..! रविजी ने कहा - आपको आइसक्रीम खिलानी पड़ेगी ..!हमने कहा ठीक है .."मित्र आपकी ..और आइसक्रीम हम खिलाये ..? " रवि जी ने कहा - हाँ जी ..आप केवल आइसक्रीम ही नहीं डीनर भी खिलाएंगे ..! हमने कहा - ठीक है ..! अब हम उस स्थान पर पहुँचे जहाँ - रवि जी की महिला मित्र इंतजार कर रहीं थीं ..! वे भी कार में बैठीं ...! रवि जी ने उनका परिचय कराया - इनका नाम है - "मालती जी " !हमने जब उन्हें देखा तो मन में लगा इनकी सूरत तो हमारी फेस बुक मित्र "माधुरी पाठक " जी से मिलती जुलती है ..? हमने उनसे कहा - " मालती जी आपकी शक्ल हमारी फेस बुक मित्र माधुरी पाठक से लगभग ९५ % मिलती है ..! हमने उनसे पूछा - आप दिल्ली में ही रहतीं हैं ? उन्होंने कहा - हाँ मैं दिल्ली में ही रहती हूँ ..! हमने मन ही मन सोचा का इतेफाक है ? क्यों कि माधुरी जी अम्बिका पुर में रहती हैं इतना ही हमें पता था ..फिर हम कभी उनसे रूबरू मिले भी नहीं थे ..केवल फेस बुक में उनकी तस्वीरें ही देखी थीं ..! और ये दिल्ली में रहती हैं ..! हम सब पहुँचे "पालिका बाज़ार के बगीचे में " जहाँ हमने आइसक्रीम भी खाई ...कुछ चिप्स ..कुछ पापकार्न भी ...! बाते करते करते ...रवि जी ने हमसे कहा - मोहन जी , ये मालती जी नहीं --- माधुरी पाठक ही हैं ..! अब हम हैरान हो गए ..! हम कुछ कहते उसके पहले रवि जी और माधुरी जी ने कहा - " हमने प्लान बनाया था आपको हैरान करने का ..इसलिए हमने ऐसा किया ..! हमने कहा आप अंबिकापुर से यहाँ हमे ऐसा "surprise " देने के लिए आइ हैं ? तब उन्होंने हंस कर कहा चाहे तो आप ऐसा ही समझ सकते हैं ..! पर कुछ देर बाद उन्होंने कहा - मैं यहाँ " यू पी एस सी " की तय्यारी करने आई हूँ ..! अब बातों बातों में माधुरी जी ने जो बताया ..वो सच में ऐसा था जिस पर सभी को गर्व होना चाहिए ..! जब माधुरी जी ने दिल्ली में आ कर परीक्षा की तयारी की सोची तो यहाँ वे कहाँ रहेंगी ? कहाँ कोचिंग करेंगी ? इन प्रश्नों से वे परेशां थीं ! तब उन्होंने रवि जी से अपने ये प्रश्न कहे ..." कहते हैं सच्ची दोस्ती किसी भी कठिनाई को चुटकियों में हल कर देती है ! " कुछ ऐसा ही हुआ ..! रवि जी ने माधुरी जी के लिए " पेइंग गेस्ट " के रूप में एक व्यवस्था कर दी , कोचिंग के लिए मार्गदर्शन दिया ...रवि जी ने एक सच्चे मित्र की तरह अपना समय उनकी इन व्यवस्थाओं में लगाया ...! आज माधुरी जी निश्चिन्त , प्रसन्न मन से अपनी पढाई कर रहीं हैं ! ये है फेस बुक के मित्र के लिए अच्छा करना ..! है न ..! हमारी हार्दिक शुभकामनाये माधुरी जी के साथ है कि वे अपनी इस परीक्षा में सफल हो और जो वे बनना चाहती हैं ..बने ..एक अकाउंट आफिसर ..! खैर हम तीनों आये हमारे होटल जहाँ पहले से लवी जी भी मेरे कमरे में इंतज़ार कर रहे थे ..हम चारों ने रात का खाना खाया ..और माधुरी जी और रवि जी चले गए ..! बचे तो हम और लवी जी ..! फिर हम दोनों ने बातें शुरू की..अनेक विषयों पर बातें हुईं ..फिर समय हुआ रात के तीन बजे ..! लवी जी वास्तव में बहुत सटीक जानकारी रखतें हैं ..हिन्दु धर्म के बारे में ..उन्होंने अपने जीवन का सारा समय दिया हुआ है इसी में ..! इस तरह से ये एक और दिन पूरा हुआ ..हम भी सो गए ..मीठी यादें लिए ..एक और नई सुबह के लिए ...! आज तारीख थी - तीन मई ....! सुबह रवि जी ने फोन पे बताया ...आप आइये मेट्रो ट्रेन से द्वारका स्टेशन ...! हम ऐसे ही तैयार हो कर अपना कैमरा ले मेट्रो ट्रेन से पहुँचे ..जहाँ रवि जी ने बुलाया था ..! वहां रवि जी अपनी कार में हमारा इंतज़ार कर रहे थे ...उन्होंने कहा चलिए आपको एक और मित्र से मिलातें हैं ..! फिर एक मेट्रो स्टेशन के बाहर एक नवजवान मिले ..! उनका नाम था - विनोद ! जब हम तीनों कार में थे तो प्रोग्राम बना हम सब हरिद्वार जायेंगे ..अभी ..! हम हैरान हुए - हमने कहा हमने कोई बैग भी नहीं लिया है ..! उन्होंने कहा कोई नहीं सब हो जायेगा ..! हमने भी कहा - ठीक है .....! हम तीनो दिल्ली से " बहादुर गढ़ " ...अब रवि जी ने हमसे कहा - आपको मिलतें हैं एक खास व्यक्ति से ..! और हम पहुँचे - दैनिक समाचार पत्र - " आज समाज " के कार्यालय ..! यहाँ हम मिले - " श्री रविंदर राठी जी " से ! रविंदर राठी जी बहादुर गढ़ में एक जानी मानी हस्ती तो है ही साथ ही उनका व्यवहार ऐसा है कि - एक बार मिलने पर हर कोई उनका दीवाना हो जाता है ..सीधा सरल व्यवहार , कार्य में ईमानदारी , लगन , पूर्ण रूप से हिंदू प्रवृति ...! सही और सटीक बातें ..! हमे देखा आज कल के पत्रकारों में जो घमंड , गुरुर होता है ..वो इनमे कहीं नहीं दिखा ..! मधुर आत्मीय व्यक्तित्व ...! हमने खूब बातें की ..उस समय शाम हो रही थी ..अचानक आंधी चली ...मौसम खुशगवार हो गया ..हम सब गए कुछ नाश्ता करने ...बहादुर गढ़ के प्रसिद्ध - " पंडित जी का नाम ही काफी है " के ठेले पर ..जहाँ हमने दही भल्ले खाए ..! यहाँ हम एक बात तो बताना भूल ही गए ....जब हम "दैनिक आज समाज " के कार्यालय में बैठे थे तो लवी जी भी आ गए थे वहां ..! अब हम चारों यानि - मैं , रवि जी , लवी जी और विनोद जी कार से चले हरिद्वार ...!एक बात माननी पड़ेगी -- रवि जी वास्तव में " कूल ड्राइविंग " करतें हैं ! हसते बाते करते हूँ चलते रहे ..रस्ते में रुक रुक कर आराम भी करते ..और कभी चाय पीते ..कभी प्याजी परांठा भी खाते ..! कार में सफर करते हुए तारीख भी बदल गई ...यानि तीन मई से चार मई हो गई ..! समय - रात के लगभग डेढ़ बजे ..हमने देखा सामने पहले नीली रौशनी से आकाश नहा गया है फिर हलके नारंगी रंग से ..फिर हमे कुछ विस्फोट की आवाज़ भी सुनाई दी ..हमने सोचा कोई बिजली की तार टूट गई है ...पर जब हम कुछ आगे गए तो देखा पूरा बिजली का सब स्टेशन ही फट गया ..और उसमे आग लग गई थी ..! हमने ये नज़ारा देखा तो सोचा - " मानवीय गलती कितनी बड़ी दुर्घटना बन सकती है " खैर हम चल पड़े अपने सफर पर ...! समय ...सुबह के लगभग ४.३० ....हम बहुत धीमी गति से हरिद्वार पहुँचने की राह पर थे ...हम लगभग ७ किलोमीटर दूर थे हरिद्वार से ..! एक स्थान है ज्वालापुर जहाँ एक सकरी सी पुलिया है ...!हमारी कार के आगे एक ट्रेक्टर ट्राली चल रही थी अत्यंत धीमी रफ़्तार से ..उसमे लकड़ी के लट्ठे भरे हुए थे ..! चूँकि ट्रेक्टर बहुत ही धीमा चल रहा था तो रवि जी ने सोचा ओवर टेक कर लेते हैं ..जाने क्यों हमारे मन में क्या आया हमने रवि जी को मना किया ..हमने कहा कार ट्रेक्टर के पीछे ही चलने दें ..! रवि जी ने बात मान ली ..हमारी कार उस समय ट्रेक्टर के बाजु में चल रही थी ..रवि जी ने कार की गति कम की ..जैसे ही हमारी कार ट्रेक्टर के पीछे आई ही थी कि - " एक भयानक टक्कर की आवाज़ आई ..!" रवि जी के पैरों ने कार में ब्रेक लगा दी ! हमने देखा ठीक हमारे सामने ..लगभग दो मीटर की दुरी पर उसी ट्रेक्टर को एक महेंद्रा पिक अप ने जोरदार टक्कर मार दी थी ..! महेंद्रा जीप के सामने के हिस्से के मानों परखच्चे उड़ गए थे ..! हमारी सांसे मानों रुक गई थी ये नजारा देख कर ..! कुछ मिनिट लगे हमे सामान्य होने में ..और तभी लवी जी कार से उतरे और घटना स्थल पर पहुँचे ..हम सब भी कार से उतर कर लवी जी के पास पहुँचे ..हमने देखा ट्रेक्टर चालक स्टेयरिंग में फस गया था ...! जीप चालक भी बुरी तरह से फस गया था ..! लवी जी ने ट्रेक्टर चालक को ताकत लगा कर बाहर निकला ! और जीप में फसे सह चालक को निकला ..! पर जीप चालक को नहीं निकाल पाए वो बहुत बुरी तरह से फस गया था ..! शायद उसकी मृत्यु भी हो चुकी थी ..! लवी जी ने तत्परता दिखाते हुए मोबाईल से - १०० नंबर पर पुलिस को सूचना दी और १०८ नंबर पर एम्बुलेंस को सूचना दी ! साथ ही लवी जी ने रवि जी से कहा वे कार को पुल के दूसरी तरफ ले जाएँ ..रवि जी ने तुरंत ऐसा ही किया ..! तब तक वाहनों की भीड़ लग रही थी ..लवी जी ने यातायात व्यवस्थित करने की कोशिश की .! मानवीयता इतनी निष्ठुर हो सकती है ये हमे यहाँ देखा ..आने जाने वाले वहां बिना रुके जाना चाहते थे ..! हम चारों ने सभी से धीरे धीरे जाने को कहा पर एक ट्रक वाले ने कुछ ज्यादा ही जल्दी दिखाई ..और वो पुल के फुटपाथ को तोड़ता हुआ फस गया ..अब दोनों तरह के वहां रुक गए ..! इतने में पुलिस और एम्बुलेंस भी पहुँच गई ..! हमने अब उन्हें घटना की पूरी जानकारी दी और वहां से ..चल पड़े ..हरिद्वार की तरफ ..! कुछ ही मिनिटों में हम गंगा के किनारे थे ..! हमने गंगा मैया को धन्यवाद दिया कि उनके आशीर्वाद से हम सुरक्षित बचे ..!रात भर के सफर और उस भयानक दुर्घटना को देखने के बाद हम अनमने से हो गए थे ..इसलिए एक धर्मशाला में गए और सो गए ..! चूँकि हम गंगा मैया के आँचल में थे इसलिए कोई बुरा सपना नहीं आया ..! कुछ घंटे सोने के बाद हम सब तरोताजा थे ..! अब चले - "हर की पौड़ी की तरफ ..!" मार्ग में हमने कुछ जरूरी वस्त्र ख़रीदे जैसे - रवि जी , लवी जी , विनोद जी और मैंने "गेरुए रंग की शर्ट " गमछे ..और पहुँचे हर की पौड़ी ..! ठन्डे बर्फ से गंगा जी के जल को जैसे ही हमने स्पर्श किया मानों शरीर में सिरहन सी दौड गई ..! रवि जी तो पत्ते जैसे कपकपा से गए ...! जैसे तैसे हम सब पानी में उतरे ..और जैसे ही डूबकी लगाईं मानों पानी की ठण्ड गायब हो गई ..! यही है गंगा मैया की ममता का असर ..! उसके बाद तो हमने बच्चो की सी हरकते शुरू की ..और लगभग कई घंटे गंगा जी के जल में नहाते रहे ..! दोपहर बाद हम चले --- ऋषिकेश ..! रस्ते में हम " शांति निकेतन " रुके ! ये आश्रम है - "श्री राम शर्मा आचार्ये जी का ' ! एकदम पवित्र वातावरण ..हम सबने यहाँ देखा "हिमालय साधना केन्द्र " जहाँ हम सबने कुछ समय ध्यान भी किया ..! उसके बाद आश्रम घूमा ..कुछ साहित्य भी लिया ..फिर चल पड़े अपनी मंजिल की तरफ ..!शाम के पांच बजे हम पहुँचे ऋषिकेश ..! सबसे पहले तो हम चारों ने "गीता भवन घाट " पर गंगा जी में डूबकियां लगाईं ..! अब सच में पानी बर्फ सा ठंडा था ..कपकपाते हुए ..पानी में अठखेलियाँ करते रहे ..रवि जी ठण्ड के मारे दांत किटकिटाते रहे ..मैं भी ठिठुरता रहा ..पर वाह रे लवी और विनोद जी ..उन्हें कोई असर ही नहीं हो रहा था ..विनोद के शब्दों में - "अब फील हो रहा है !" लगभग दो घंटे हम गंगा जी के जल में नहाते रहे ..उसके बाद पहुँचे गंगा आरती में शामिल होने ..! गंगा जी में नहा कर शरीर तो पवित्र हो ही गया था अब गंगा आरती सुन कर मन भी पवित्र हो गया था ..! सच में लगा - "यही तन और मन की शांति है !" गंगा आरती के बाद हम घुमे गंगा जी किनारे किनारे ...! यहाँ हमने एक बात ध्यान दी ..हम आपस में धार्मिक बातें ही करते रहे किसी अन्य विषय पर बातें ही नहीं कर पाए ..! इसे कहतें हैं - " जैसा स्थान वैसा मन !" सच में यही तो है न हमारी भारतीय संस्कृति ..! जिस पर हमे गर्व है न ..! तो इसी बात पर एक जय कारा हो जाये ...." हर हर गंगे ..जय हो गंगा मैया की ..! " हमने तय किया हम रात को ही दिल्ली के लिए रवाना होंगे ..हमने रवि जी से पूछा - क्या वे तैयार हैं ..ड्राइविंग के लिए ? मैं मन ही मन सोच रहा था शायद रवि जी मना कर देंगे ..! पर दाद देनी होगी रवि जी को --- उन्होंने अपनी चिरपरिचित मुस्कान से कहा - " मैं तैयार हूँ !" हम सबने जैकारा लगाया ..और पार्किंग से कार स्टार्ट करके निकल पड़े दिल्ली की तरफ ..समय हो रहा था रात के ग्यारह ..! थोडा ही सफर तय किया कि बरसात शुरू हो गई ..! अब रवि जी ने हम सबको बताया - " उनकी इस कार के वाइपर खराब हैं , वातानुकूलन यंत्र भी खराब है ..! ' हम सब सन्न रह गए ये सुन कर ...! पर रवि जी ने हमसे कहा - कोई नहीं ..! धीरे धीरे चलेंगे ..! बस फिर क्या था हममे भी जोश आ गया और रुकते रुकाते चल पड़े ..! जहाँ ज्यादा बरसात होती रुक जाते ..जैसे बरसात रूकती ..कार का शीशा साफ़ करते फिर आगे बदते ..ऐसा करते करते ..हम सुबह सात बजे दिल्ली पहुँचे ..! कहतें है न .." हिम्मते मर्द्दा ..मद्दते खुदा ! " बस ऐसा ही कर दिखाया 'रवि जी ने ' लगभग लगातार छे सौ किलोमीटर कार ड्राइव की..! मैं मन ही मन रवि की प्रशंसा कर रहा था कि - "एक ऐसा व्यक्तित्व जिसकी कविता पर इतने कमेंट्स आतें हैं कि कभी कभी इर्षा होती है , अब ये बात अलग है कि उन्हें मिलने वाले कमेंट्स में "कोमलता के प्रतीकों के ज्यादा और शक्ति के प्रतीकों के कम !" खैर मैंने दिल से उन्हें कहा - मुझे गर्व है कि आप मेरे अच्छे मित्र हैं ...! दिल्ली पहुँच कर एक स्थान पर हमने उनसे विदा ली और आ गए अपने होटल ..! आज तारीख थी पांच मई ..! होटल आ कर मैं सो गया ..शाम को नींद खुली ..! मैंने रवि जी , लवी जी को बताया हम अभी जा रहे हैं जयपुर ..! उन्होंने कहा - जब आप वहां से वापस आयेंगे तो फिर मिलेंगे ! हमने कहा - हाँ जी ! हमने सुबह चार बजे की बस की टिकेट ली और चल पड़े जयपुर ..! यहाँ हम मिलने वाले थे अपने मित्र - " महावीर भारती जी " से ! उन्हें हमने मोबाईल पर सूचना दे दी थी !आज तारीख थी - छे मई ..!

जैसे ही बस जयपुर के बस स्टैंड पहुंची ..तो महावीर जी मेरा इंतज़ार कर रहे थे ..उन्होंने पहले से ही - "होटल शिवाज़ पैलेस " में हमारा कमरा बुक करवा दिया था ..हम दोनों होटल के कमरे में पहुँचे ...जहाँ मैंने स्नान किया और फिर महावीर जी के साथ गए उनके घर दोपहर का खाना खाने ..! महावीर जी के परिवार में उनकी माता जी , उनका पुत्र और पुत्र याशिका और उनकी पत्नी हैं ..! एकदम शुद्ध राजस्थानी खाने का हमने आनंद लिया ...और फिर गए उनकी वर्कशॉप ..! महावीर जी कुशल मूर्तिकार हैं ..! उनकी वर्कशॉप में हमने देखा दस फीट और पन्द्रह फीट ऊँची प्रतिमाये ..! सबसे महत्वपूर्ण बात - उनकी बनाई हाथी की प्रतिमाये दिल्ली के "इंदिरा गाँधी अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल तीन में स्थापित हैं ! इसके आलावा जयपुर के " पिकाक गार्डन में उनके बनाये पिकाक हैं !" अनेक चौराहों पर उनकी बनाई प्रतिमाये भी हैं ..जो हमने देखी भी और अपने कैमरे में कैद भी की..! साथ ही हमने "हवा महल " जल महल " पिंक सिटी ," सहित हस्त कला के कुछ कारीगरों से भी मिले ..हमने घोड़े , ऊंठ , और जयपुर की प्रसिद्ध चुडिया , साडियां भी खरीदी ! इस समय रात के ग्यारह बज रहे थे ..! हमने फिर उनके घर में रात का खाना खाया और आ गए अपने होटल ..! तारीख - सात मई ....की सुबह के नौ बजे ..! महावीर जी हमारे पास आये ..उन्होंने जयपुर दर्शन के लिए डबल डेकर बस में तो सीट की टिकेट ले ली थीं ! हम बस में बैठे ..उस बस में हम सत्रह यात्री थे ...! इस बस से हमने - संग्रालय देखा , आमेर का किला देखा , कुछ हस्तशिल्प कला केन्द्र देखे ...शाम को वापस होटल पहुँचे ..! आज महावीर जी की सुपुत्री याशिका का जन्मदिन था ..तो हमने मिठाई ली ..और घर पहुँचे ! हमने हिंदू तरीके से याशिका का जन्मदिन मनाया ..! सबने मिल कर खाना खाया ....! हमने उनकी माता जी से आशीर्वाद लिया और ..होटल पहुंचे ..अपना सामान लिया और महावीर जी के साथ बस स्टैंड आ गए ...! चूँकि हमारी बस रात के एक बजे थी तो हमने महावीर जी से कहा वे अपने घर जाएँ क्योंकि उन्हें सुबह पांच बजे अपने परिवार के साथ चुरू जाना था ..अपनी ससुराल ! रात को एक बजे हम बस मे अपने स्लीपर पर आये और सो गए ...! सुबह छे बजे बस पहुंची दिल्ली ...हम बस स्टैंड से ऑटो से पहुँचे अपने होटल - साईं इनतर्नेशनल ! हमने अपने कमरे में पहुँच कर सूचना दी रवि जी , लवी जी को ..! चूँकि आज रविवार था तो " इंडिया गेट " पर प्रत्यंचा की बैठक थी ..! हम पहुँचे इंडिया गेट ! आज यहाँ हम मिले - रवि तिवारी जी , लवी जी , विभु अगरवाल जी , देवेन्द्र जी , अंकुश जी , गोपाल जी से ..फिर बैठ कर चर्चा का दौर चला ..और सबने मिल कर खाना भी खाया वहीं बैठ कर ..! सच में "प्रत्यंचा " के सदस्यों से मिल कर उनके विचार सुन कर ऐसा लगा ..जैसे हमें ऐसा बहुत कुछ मिल गया जो नहीं मिला था ! अब हमे विश्वास है ..हमारा भारत फिर से सनातन धर्म के ओज से ओत प्रोत हो जायेगा ! शाम होते होते ...हम वापस अपने होटल पहुँचे लवी जी के साथ ...वे हमारे साथ रहे रात के एक बजे तक ...! सच में उनके पास ऐसा ज्ञान है जो सनातन धर्म से भरा हुआ है ! ...जब वे गए तो ..हमने भी अपना सामान समेटा और सो गए ...!

आज तारीख थी - नौ ..! सुबह नौ बजे हमने ट्रेन में अपना स्थान ग्रहण किया और चल पड़े अपने नगर - रायपुर ..! रस्ते में पता चला - भोपाल के पास " उद्योग नगरी ' एक्सप्रेस के सात डिब्बे पटरी से उतर गए है ...! हमारी ट्रेन को रस्ते में रोक दिया गया .! कोई दो घंटे बाद जब ट्रेन चली तो उस स्थान से गुजरी जहाँ ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतर गए थे ..घटना सुबह छे बजे घटी थी और हमारी ट्रेन रात को आठ बजे उस स्थल से गुजरी ..हमने जब नज़ारा देखा तो लगा कम से कम साथ -सत्तर लोग तो मरे होंगे ..क्योंकि डिब्बे पूरी तरह से पटरी के दूसरी तरफ पलटते हुए गिरे थे ..! जैसे ही हमारी ट्रेन भोपाल स्टेशन पहुंची हमने वहां हेल्प डेस्क से पता किया तो बताया गया लोग केवल घायल हुए हैं ..! मन ही मन सोचते रहे - ये कैसी मानवीयता है ..? ये कैसा शासन है ? कम से कम जीवित को सम्मान नहीं दे सकते तो कोई बात नहीं ..मृत को तो सम्मान देना चाहिय ..! सुबह समाचार पत्रों में देखा तो बहुत छोटा सा समाचार था ! मन में कोफ़्त हुई ..? कैसी पत्रकारिता है आज की ...? जो लोग समाचारपत्र खरीद कर पढते हैं और ऐसी दुर्घटना में मारे जातें हैं ..उनके बारे में ये समाचार पत्र लिखते भी नहीं ..और जो लोग मुफ्त में समाचार पत्र पढते हैं उन्हें खासी भी आ जाये तो प्रथम पृष्ठ पर बड़ा सा समाचार आ जाता है ..! खैर ..मैंने ऐसा सफर जीवन में पहली बार किया जिसमे मैं केवल अपने उन मित्रों से मिलने गया जिन्हें कुछ महीने पहले तक जनता भी नहीं था , न ही कभी मिला था ..! इस फेस बुक का धन्यवाद कि मुझे इतने अच्छे मित्र मिले ..! मैंने इसके पहले बहुत यात्राये की ..पर ये एकदम अलग रही ..! इसका पूरा श्रेय मेरे मित्रों को जाता है ..! मैं ईश्वर से प्रार्थना करूँगा ...उनके जीवन में सदा सफलताएं उनके साथ रहें ...प्रसन्न रहें ..उनका परिवार हसी खुशी से रहे .....! और कुछ थोडा सा प्यार मुझे भी ऐसे ही देतें रहें ..! बस इतना ही ...! हाँ ..जो फोटो मैंने अपने कैमरे में ली हैं उन्हें अलग अलग अल्बम के रूप में अपनी प्रोफाइल में अपलोड की हैं ..इसे पढ़ने के बाद उन्हें भी देखना न भूलिएगा ..! आपका अपना ही ----मोहन लाल भया रायपुर हाँ कुछ मित्रों से मैं मिल नहीं पाया उनसे क्षमा चाहूँगा ..अब जब भी आऊंगा तो अवश्य मिलूँगा !

1 comment:

  1. आपकी कहानी सुन कर मजा आ गया

    ReplyDelete