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Sunday, March 20, 2011

जीने को तो जी लूँगा मै


तेरे आने की ख़ुशी में खुश था मै
सोचा ही न था की एक दिन तू जाएगी भी
जब जाना ही था तो आई ही क्यों थी
खुश हाल जीवन को वीराना बनायीं क्यों
जी रहा था अपने धुन में
अब तो मर भी नहीं पा रहा हु
घुट घुट के ना जी रहा हु ना मर रहा हु
तेरी याद में खुद को खो रहा हु
आँखों से अश्क रुकते नहीं
दिल का दर्द अब सह पाता नहीं
जीने को तो जी लूँगा मै
खून के आंसू पी लूँगा मै
बहुत हो गयी अब ये दिल्लगी
दुनिया के भीड़ में अब खो जाऊंगा मै
याद आपको भी आऊंगा मै
लेकिन अब कभी नहीं मिलूँगा मै
लेकिन अब कभी नहीं मिलूँगा मै ..!!
......रवि तिवारी ..........

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