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Thursday, February 3, 2011

मत बुझाओ मेरे दिल के चिराग

मत बुझाओ मेरे दिल के चिराग को,
अपने घर में उजाला देता हु मै,
दिल तो एक ही दिया है भागवान ने
नहीं तो दे देता आपको खेलने के लिए दो -चार
हम तो आपकी ख़ुशी के लिए जीते थे
आपने तो मरने के काबिल भी न छोड़ा
इतनी बेरुखी क्या हो गयी
एक बार बोलती तो अपने
आँसू से आपके दिल का चिराग जला दिया होता
आपके पैर को धरती पे न रखने देता
कदमो तले अपना हाथ रख देता
खुश तो इतना रखता की
आपको मेरी भी मिल जाती
आपके सरे दुःख को मै साथी बना लेता
और अपने सारे  सुख को दुश्मन
अरे , गयी भी तो ऐसे गए की
मै सोया ही रहा,सिसकता ही रहा
और आप चुपचाप निकल गयी
मत बुझाओ मेरे दिल के चिराग को
अपने घर में उजाला देता हु मै....
........रवि तिवारी.....

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