Total Pageviews

Sunday, January 30, 2011

संस्कार

संस्कार सबसे बड़ी चीज़ है , लेकिन आज कल महानगर में इस बात की बहुत ही कमी है ! आज कल के युवा पीढ़ी को संस्कार के बारे में सोचने में भी शर्म आती है ! लोग बोलते है की वो बहुत दुखी है ,लेकिन वो यह नहीं सोचते की .वो क्यों दुखी है ,अपने कारन से ही दुखी है वो ,अपने बच्चो को आज तक नहीं समझाया की संस्कार क्या होता है !
महानगरो में बच्चे को आज कल " इंटर नेशनल स्कूल " में पढाया जा रहा है , इस से उनके माँ बाप का स्तातुस और मान मर्यादा बढ़ता है , और माँ-बाप येही पे अपने कर्र्तव्य को समाप्त समझ लेते है,आज कल तो बच्चे को यह समझाया जा रहा है की गाँव एक घुमने की जगह है, चाचा और दादा उनके " रिश्तेदार " है....आज कल एक नया शब्द आ गया है "कजन" , सबसे अच्छा और सबसे आसान है इस शब्द का इस्तेमाल करना , सारे नाते - रिश्ते की धज्जीया उड़ रही है 
जिस वक़्त पे बच्चे को संस्कार का मतलब समझाना चाहिए ,उस वक़्त पे आज कल लोग टीवी,और इन्टरनेट पे समय बिता रहे है...संस्कार बाजार में बिकता नहीं है , माँ -बाप के लिए यही समय है की अपने बच्चे को एक अच्छी दिशा की तरफ मोड़े, उन्हें अपने पूर्वजो ,संकृति, और अपने खान दान की पुरानी बातो को अपने बच्चे को बताये, नहीं तो वो दिन भी आएगा जब माँ बाप को पछताने की सिवा कोई चारा नहीं बचेगा, सिर्फ "इंटर नेशनल " स्कूल में पढ़ाने से कुछ नहीं होगा,जहा संस्कार और संस्कृति क्या होता है ,उस स्कूल के टीचर को भी नहीं मालूम है , बच्चे को पाठशाला ,विद्यालय और गुरूजी का मतलब भी समझाना बहुत जरूरी है , 
नहीं तो, वो दिन भी दूर नहीं है जब आपके बच्चे ही आपको " कजन" कहने में नहीं हिचकेंगे ....
........रवि तिवारी....

1 comment: