Total Pageviews

28,848

Sunday, March 27, 2011

भूल कर तुम्हे .....


भूल कर तुम्हे खुश हु अब मै
सपने सारे तोड़ के खुश हु अब मै
तेरे ख़त को जला कर खुश हु मै
खुद को भूल न जाऊ अब
सबसे दूर न हो जाऊ अब
सावन में बरसात हो ना जाऊ अब
ये सोच के उदास हो जाता हु
गम-ए-जुदाई में खो जाता हु
अपने आप को ही देखता हु अब
फिर भी
भूल कर तुम्हे खुश हु अब मै
सपने सारे तोड़ के खुश हु मै
.........रवि तिवारी......

No comments:

Post a Comment