भूल कर तुम्हे खुश हु अब मै
सपने सारे तोड़ के खुश हु अब मै
तेरे ख़त को जला कर खुश हु मै
खुद को भूल न जाऊ अब
सबसे दूर न हो जाऊ अब
सावन में बरसात हो ना जाऊ अब
ये सोच के उदास हो जाता हु
गम-ए-जुदाई में खो जाता हु
अपने आप को ही देखता हु अब
फिर भी
भूल कर तुम्हे खुश हु अब मै
सपने सारे तोड़ के खुश हु मै
.........रवि तिवारी......
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