meri rachna
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Thursday, March 10, 2011
तेरी याद में आँखों से अश्क रुकते नहीं
तुम्हे अपना माना था
ये मेरा दिल अब मानता क्यों नहीं
दे दिया था अपना दिलो जान तुम्हे
मान लिया था अपना भगवान तुम्हे
चल दी तुम ले के जान मेरी
अब कुछ ना बचा पहचान मेरी...
1 comment:
डॉ. मोनिका शर्मा
March 10, 2011 at 6:14 PM
अब कुछ ना बचा पहचान मेरी...
हृदयस्पर्शी भाव .... सुंदर रचना ...
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अब कुछ ना बचा पहचान मेरी...
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी भाव .... सुंदर रचना ...