हम तुम्हे याद करते है, पल पल हर पल खोये खोये रहते है
कभी मै भी बहुत हँसता था, खेलता था, खुश रहता था
कहा गयी वो ख़ुशी, कहा गयी वो जिन्दादिली
अब तो तन्हाई से हो गयी दोस्ती,
ये दिल क्यों किसी को चाहता है,
ये मन अब क्यों नहीं लगता है,
क्या था और क्या हो गया
अब तो अँधेरा ही अच्छा लगता है,
अब तो सावन का महीने में भी डर लगता है
कोयल की आवाज़ कर्कश लगती है
गुलाब के पौधे में सिर्फ काटे ही नजर आते है
मै किसी को क्या बोलू,किस से दिल का हाल बताऊ
लड़ गया ज़माने से, हार गया अब अपने से
कभी मिल जाऊ तो बात कर लेना
ना मिलु तो याद भी ना करना
खो जाने को जी चाहता है
गम के अँधेरे में सो जाने को जी चाहता है
चलता हु अब बहुत हो गयी यारी
तुम खुश रहना मेरी प्राणप्यारी
हमेशा खुश रहना मेरी प्राणप्यारी
.....रवि तिवारी..........
कभी मिल जाऊ तो बात कर लेना
ReplyDeleteना मिलु तो याद भी ना करना
खो जाने को जी चाहता है
गम के अँधेरे में सो जाने को जी चाहता है
Wah!
Vivek Jain http://vivj2000.blogspot.com