सुबह सुबह सोकर उठा , सोच रहा था कुछ लिखू , दिल में कुछ आ ही नहीं रहा था ,क्या करू ..क्या लिखू ..की अचानक उनका ख्याल आ गया , उनके ख्यालो में ही खो गया !
काश ! वो आ जाती मेरी जिन्दगी में ,
एक हसीं सपना सच हो जाता
जब वो आती,
उनके रेशमी जुल्फों में खो जाता
अपने हाथो से उनका श्रींगार करता देता मै
आँखों में काजल लगा देता
एक छोटी से बिंदी, वो भी लाल वाली
गहरे हरे रंग के दुप्पटे में,
उनको छुपा देता
जिन्दगी के सफ़र में ,चल देता मै,
उनके साथ हमसफ़र बन कर
काश ! वो आ जाती और
मुझे झझकोर के बोलती
उठो "रवि " मत बनो अब
"बेदर्द कवी" साथ चलो मेरे
हमसफ़र बन के
काश वो आ जाती ,
काश वो आ जाती ....!!!
No comments:
Post a Comment