अब वो बात ना रही
अब वो प्यार न रहा
उनके इंतज़ार में नींद नहीं आती
और वो है की इंतज़ार नहीं करती
खायी थी कसम,साथ चलूंगी
दिल में अपना घर बसा लुंगी
चल दी अकेले ही
दिल को खेलने का सामान बना के
मैंने सोचा वेवफा का नाम दे दू
दिल ने कहा , कैसे दे दू नाम वेवफा का,
उनके इंतज़ार में तो अब भी जीता हु
ख़ुशी से न सही,
गम में ही पीता हु
शराब न सही
गम के आंसू ही पीता हु
हस के ना सही
मर मर के ही जीता हु
मर मर के ही जीता हु
.......रवि तिवारी....११/०२/२०११
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