meri rachna
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Monday, January 24, 2011
आँखों से अश्क रुकते नहीं
दास्ताँ-इ-इश्क छुपता नहीं
चेहरा छुपा लिया नकाब में
दास्ताँ -ए-गम छुपता नहीं
दिल तो दे दिया ख्वावो में
हकीकत में गम दे दिया
माँगा था तो मौत हमने
आपने घुट घुट के मरने की सजा दे दी .
1 comment:
Unknown
December 8, 2016 at 8:38 AM
Wah
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