खोया खोया था, नींद में था
फिर भी जगा हुआ था,
तन्हाई का आलम था, सावन का महिना था
जब से वो दूर गए
सपने सारे चूर हुए
काले काले बादल भी अब रूठ गए
अब तो सिर्फ आते जाते है ये बादल
बरसते नहीं अब ये बादल
आँखों से बरसात रूकती नहीं
दिल की प्यास बुझती नहीं
वो ख़ुशी का आलम
अब कभी आता नहीं
तरस गया बरसात के लिए
उनसे एक मुलाक़ात के लिए
दो प्यार भरे बात के लिए
कैसे हो गए ये बादल
अब तो सिर्फ आते जाते है ये बादल
कभी बरसते नहीं ये बादल.
.......रवि तिवारी....
No comments:
Post a Comment