खुद संभल जाओ, दिल को भी संभालो
कठिन रास्ते से गुजर रहे हो,मंजिल को खो रहे हो
पर्वतो से टकरा रहे हो
जंग नहीं महासंग्राम है ये
अकेले ही लड़ना है,
बढ़ते जाओ, बढ़ते जाओ,
हार कभी न मानो
निराशा के बादल हो हटा दो ,
चीर दो आसमान को
धरती माँ को नमन करते हुए
बढ़ते जाओ, बढ़ते जाओ,
जीतना है हर बाज़ी जीवन की
ना रोना , ना मायूस होना
ना संसार के माया में खुद को भूल जाना
हौसला बुलंद रखो ,और
बढ़ते जाओ, बढ़ते जाओ
देखो उन पेड़ पे लटके बेलो को
माँ से लिपटे हुए छोटे बच्चे को
वो सर्द रातों में,बारिश के मौसम में
ठिठुरते हुए, भींगते हुए भी
आगे बढ़ रहे है, बढ़ रहे है..
तुम क्यों मायूस बैठे हो , मंजिल को पाओ
बढ़ते जाओ,बढ़ते जाओ.........
.....रवि तिवारी.....
Jai maa bharati
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