भूल गयी तू मुझे
लेकिन मै ना भूल पाया तुझे
चली गयी तू किस दुनिया में
अंजानो की शहर में
छोड़ के अकेला
इस वीरानी धरती पे
किस के साथ ये दिल लगाऊ
किस से अपनी बात बताऊ
आह रे बेदर्दी
तुझे दर्द भी ना आई
कैसी है तू निर्दयी
तुझे दया भी ना आई
सब भुला के चल दी
हमको रुला के चल दी
तू खुश रह अब अपना घर बसा के
तू खुश रह अब मेरा घर जला के
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