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Thursday, August 4, 2011

kuch kuch...


उनके गलियों से जब गुजरे तो मंजर अजीब था
दर्द था मगर वो दिल के करीब था.......!!

सपनो की तरह आकर चले गए
अपनों को भुलाकर चले गए
किस भूल की सजा दी आपने हमें
पहले हसाया फिर रुलाकर चले गए ,,,

दिल की उदासियो को मिटा ना सका
तेरी याद दिल से भुला ना सका..!!

इतना आसान होता अगर यह दिल का खेल
तो दे देता दो चार और दिल, इस से भी खेल .. !

आपसे दूर होकर हम जायेंगे कहा
आप जैसा दोस्त हम पाएंगे कहा
दिल को कैसे भी संभाल लेंगे
पर आँखों के आंसू हम छुपायेंगे कहा .


दूर हो हमसे लेकिन पास हो
अनजानी हो लेकिन खास हो..

ना जाने उन पर इतना यकीन क्यों होता है
दूर है फिर भी पास में महसूस क्यों होता है ...

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