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Thursday, October 27, 2011
कभी अपना तो मानो
ख्वाब बहुत है दिल के अन्दर कभी इसको तो जानो
कैसे बताऊ तुझे कभी अपना तो मानो
तेरे ही ख्यालो में खोया रहता हु
बेगानों की गली में रोता रहता हु
ना जाने कब तुमसे मुलाक़ात होगी
तुमसे दिल ही दिल में दिल की बात होगी
एक झलक पाने को तरसता रहता हु
साथ चलने को तडपता रहता हु
ख्वाब बहुत है दिल के अन्दर इसको तो जानो
कैसे बताऊ तुझे कभी अपना तो मानो
फुल ना सही काटे ही बना कर रखो
दोस्त ना सही दुश्मन ही मान कर रखो
अपना ना सही बेगाना ही बना कर रखो
कभी खुद को देखो,कभी मुझको देखो
लेकिन एक नजर मिला कर तो देखो
अपना ही हु , अपना ही नजर आऊंगा
यही हकीकत है तुम इसे जानो या ना जानो
ख्वाब बहुत है दिल के अन्दर इसको तो जानो
कैसे बताऊ तुझे कभी अपना तो मानो
...........रवि तिवारी ...............
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