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Saturday, April 30, 2011


प्यार नहीं श्रींगार लिखने को जी चाहता है
भारत माँ की तकदीर बदलने को जी चाहता है
बहुत देख लिया बेईमानी
बहुत देख लिया गद्दारी
सब को सबक सिखाने को जी चाहता है
नेता हो या अभिनेता हो
पूरब का हो या पश्चिम का हो
जूतम-पैजार करने को जी चाहता है
देश की जनता तड़प रही है
भ्रष्टाचार और महंगाई में जल रही है
बहुत हो गया अब ये प्रशाशन
सबको बदल देने को जी चाहता है
नेता सारे चोर हो गए
जनता और गरीब हो गयी
चल चलो तुम सब मिल के सारे
दिल्ली का तख़्त हिलाने को जी चाहता है
दिल्ली का तख़्त हिलाने को जी चाहता है
............रवि तिवारी ...........

Monday, April 25, 2011

तुम्हारे आने के इन्तजार में...!!


तुम्हारे आने के इन्तजार में बैठा हु अब तक
तुम अगर ना आई तो कैसे रह पाउँगा मै
जिन्दगी का एक एक पल बीता जा रहा है
जीवन चक्र बहुत तेजी से चलता जा रहा है
तुम अगर ना आई तो गीत ना गा पाउँगा मै
सपने में ही ख्वाब सजाता रह जाऊंगा मै
कभी अपने कदमो को बढ़ा के तो देखो
खुशियों में अपने दामन को छुपा के तो देखो
हमारी नजरो से नजरे मिला के तो देखो
खुबसूरत ये जिन्दगी के पल
कभी हमारे साथ बिता के तो देखो
अब तो आ ही जाओ,इतना न खुद को छुपाओ
तुम्हारे आने के इन्तजार में बैठा हु अब तक
तुम अगर ना आई तो कैसे रह पाउँगा मै
अपने अरमान ना पुरे कर पाउँगा मै

Tuesday, April 19, 2011


भीड़ तो बहुत है ,लेकिन मै तन्हा क्यों हु
पास तो सभी है ,लेकिन कोई अपना क्यों नहीं
वादे तो सभी कर लेते है
लेकिन कोई निभाता क्यों नहीं
सपने तो बहुत है
लेकिन सच होता क्यों नहीं
मंजिल की चाह में बढ़ रहा हु
मंजिल मिलती क्यों नहीं
अपनों के शहर में
अपनापन क्यों नहीं

Friday, April 15, 2011

हम तुम्हे याद करते है दिल से
लेकिन अब नफरत भी करते है दिल से ..!!

भूल गयी तू मुझे....!!


भूल गयी तू मुझे
लेकिन मै ना भूल पाया तुझे
चली गयी तू किस दुनिया में
अंजानो की शहर में
छोड़ के अकेला
इस वीरानी धरती पे
किस के साथ ये दिल लगाऊ
किस से अपनी बात बताऊ
आह रे बेदर्दी
तुझे दर्द भी ना आई
कैसी है तू निर्दयी
तुझे दया भी ना आई
सब भुला के चल दी
हमको रुला के चल दी
तू खुश रह अब अपना घर बसा के
तू खुश रह अब मेरा घर जला के

Saturday, April 9, 2011


तुम मुझसे दूर होकर भी पास लगती हो
गर पास आ जाती तो कुछ और बात होती
तन्हा गुलाब भी दूर से खुबसूरत लगता है
तेरी महक आ जाती तो कुछ और बात होती
सर्द मौसम में अकेला कब से खड़ा हु
गर तू साथ चल देती तो कुछ और बात होती

Monday, April 4, 2011


तेरी नजरो के हम दीवाने है
एक नजर को हम तरसते है
कभी फुर्सत मिले तो आ जाना
दिल की प्यास बुझा जाना
कभी ना जाने की कोशिस करना
सदा के लिए मेरी ही हो जाना
जीवन में खुशिया महका दो
सतरंगी सपने दिखा दो
हकीकत में जीना सिखा दो
.....रवि तिवारी......

Saturday, April 2, 2011


हर ख़ुशी में तुझे ही याद करता है मेरा दिल
तू अब नहीं है ये भी जानता है मेरा ये दिल
दिल से लेकिन फिर भी तेरी याद जाती नहीं
भूल के भी तुझे याद करता है मेरा दिल
हम कैसे है यह तो जानता है सिर्फ मेरा ही दिल
आँखों से आसू अब बहते नहीं है
सिर्फ महसूस करता है मेरा ये दिल .....
.......रवि तिवारी .............